Tuesday, 31 January 2012


ना   पूछ   के   हँसते   क्यों   हो   ,
रो   आया   हूँ   राहों   में   बहुत   ,
अब   तो   मंजिल   है   या   ,  पड़ाव  ,
ये   तो   जान   सका   ना   कोई   दुनियाँ   में   !!
…………….
तुमने   जाना   भी   तो   क्या   जाना   ,
तुमने   ना   जाना   भी   तो   क्या   ,
तुमने   खोया   भी   तो   क्या   खोया   ,
तुमने   पाया   भी   तो   क्या   ,
इसमें   हासिल   होगा   क्या   ,
ऐ   मेरे   मन   पागल   ,
तू   तो   बंजारा   बन   ,
बंजारों   की   गति   चलता   जा  !!
………………….
रहनें   दे   सोच   में  ,
जिनको   है   ,  सत्य   की   खोज  ,
रहनें   दे   अफ़सोस   में  ,
जिनको   है   किस्मत   से   गिला  ,
तू   तो   मस्तों   की   टोली   देख  ,
मस्तों    की   मस्ती   का   तज़ा   देख  ,
जो   मज़ा   हासिल   ना   हुआ   शहज़ादों   को  ,
उसकी   ,  रंगत   देख   ,  मदहोशी   देख  ,
………………….
ऐ   मेरे   मन   , छोड़   दे   कश्ती   को  ,  बिन   पतवार   ,
फिर   देख   हवाएं   करती   हैं   क्या   ,
तू   तो   सिर्फ   नज़ारा   कर   ,
किनारे   बैठे   हुओं   का   ,
जो   ज़न्नत   को   ,  या   भगवान्   को   ,
घूरे   जाते   हैं   ,
कर   वो   करतब   जो   कराये   वो  ,
उसके   इशारों   को   मान   ,  बिना    शक   रे   मन  चंचल   !!
………………..
वो   निगाहों   से   है   दूर   तो   क्या  ?
तेरे   मन   को   तो   महसूस   हुआ    करता   है  ,
उसे   ना   मानने   वाले   भी   बहुत   हैं  ,
तू   भी   ना   मानें   तो   क्या   ?
तू   उसे   मजबूरी   की   शक्ल   ना  दे   ,
वो   तेरे   अन्दर   है   ,  और   तू   उसमें    शामिल  ,
तू   ही   कर्ता   है   ,  करतार   भी   है  ,
ऐसा   करके   तो   देख   !!
………………..
ना   पूछ   के   हँसते   क्यों   हो   ,
रो   आया   हूँ   राहों   में   बहुत   ,
अब   तू   मस्ती   का   मज़ा   देख   ,
और   मुझे   ,  मस्ती   ,   मस्ती  , बस   मस्ती   में   जीने   दे   !!

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