कुछ जाम पिए , कुछ पीने को हैं , दर्द समंदर बन आया है ,
लड़खड़ायें कदम , थाम लेना यार , सोचूंगा दर्द , दवा लाया है !
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यूँ ही पल में कोई अपना नहीं हो जाता ,
उनके दिल को खुल जाने दे धीरे धीरे !
अंदाज़ अलग , देखें हैं कई , दुनियां में ,
किस तौर के हैं वो , खुल जाने दे , धीरे धीरे !!
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जिंदगी में बुत तराशे हैं बहुत ,
जिंदा बुत भी तराशूंगा , सोचा ना था !
अब तो बुत भी नक्काशी , किया चाहता है ,
कहता है , मेरी शक्ल उभारी है उसने !!
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जिंदगी में अफ़साना बन बैठे हैं वो ,
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यूँ ही पल में कोई अपना नहीं हो जाता ,
उनके दिल को खुल जाने दे धीरे धीरे !
अंदाज़ अलग , देखें हैं कई , दुनियां में ,
किस तौर के हैं वो , खुल जाने दे , धीरे धीरे !!
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जिंदगी में बुत तराशे हैं बहुत ,
जिंदा बुत भी तराशूंगा , सोचा ना था !
अब तो बुत भी नक्काशी , किया चाहता है ,
कहता है , मेरी शक्ल उभारी है उसने !!
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जिंदगी में अफ़साना बन बैठे हैं वो ,
मोहब्बत के जिनको आती नहीं है !
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घूमघुमयिया सा जीवन मेरा ,
सौ जंतर मंतर घूम आया है ,
दिशा निर्देश अभी कोई न मिला ,
अलबेला अलबेला लिखा मिलता है !!
सौ जंतर मंतर घूम आया है ,
दिशा निर्देश अभी कोई न मिला ,
अलबेला अलबेला लिखा मिलता है !!
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लड़खड़ाता सा जीवन लड़खड़ाती सी दुनियाँ ,
नयनों में नींद आये तो जानूं !
नयनों में नींद आये तो जानूं !
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