Saturday, 21 January 2012


कुछ  जाम  पिए , कुछ  पीने  को  हैं ,  दर्द  समंदर  बन  आया  है  ,
लड़खड़ायें   कदम , थाम  लेना  यार  , सोचूंगा  दर्द , दवा  लाया  है !
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यूँ  ही  पल  में  कोई  अपना  नहीं  हो  जाता ,
उनके  दिल  को खुल  जाने  दे  धीरे  धीरे ! 
अंदाज़  अलग , देखें  हैं  कई , दुनियां  में ,
किस  तौर  के  हैं  वो , खुल  जाने  दे ,  धीरे  धीरे !!

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जिंदगी  में  बुत  तराशे  हैं  बहुत  , 
जिंदा  बुत  भी  तराशूंगा , सोचा  ना  था !
अब  तो  बुत  भी  नक्काशी , किया  चाहता  है , 
कहता  है , मेरी  शक्ल उभारी  है  उसने !!

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जिंदगी   में   अफ़साना   बन   बैठे   हैं   वो   ,  
मोहब्बत   के   जिनको   आती   नहीं   है  !
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घूमघुमयिया  सा  जीवन  मेरा  , 
सौ जंतर  मंतर  घूम  आया  है ,
दिशा  निर्देश  अभी  कोई  न  मिला  , 
अलबेला  अलबेला लिखा  मिलता  है !!
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लड़खड़ाता  सा जीवन लड़खड़ाती सी दुनियाँ  , 
नयनों   में   नींद   आये   तो   जानूं  !
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