कोई न मिला ऐसा , जिसने ज़ख्म न दिए हों ,दोस्ती से अच्छी तो दुश्मनी हमारी !
आप ना बनते , बंधू बांधव हमारे , तो मुश्किलें कहाँ जाती , उम्मीदें टूटती क्यों हमारी !!
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हमने कर दी ज़मीं ख़ाली , कुच्छ ऐसा समझते हैं ,
पर हम जब मरते हैं , ख़ाली हाथ होते हैं !
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नफरत सी हो गयी है ज़मानें भर से मुझे ,
और फिर ये चाहता हूँ , देखे प्यार से मुझे कोई !!
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मेरे खुदा बिन मांगे बख्श दी जिंदगी तूने ,
अब कर कुच्छ ऐसा के ये यादगार बन जाए !
कर गुजरूँ ज़माने में कुच्छ ,मेहरबानियों से तेरी ,
तेरा भी नाम रह जाये ,मेरा भी नाम हो जाए !!
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जो अपने रास्ते शुरू से ही तय कर न सके ,
मुझे मेरी मंजिल का पता देने में मशगूल हैं अब !!
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चलो कोई ले चलो मुझे खामोश सितारों की महफ़िल में ,
आज मैं भी खामोशियों की ज़ुबान का राग कैसा है सुन लूँ ज़रा !
मैं भी देखूं मेरी उदासी , उदासी क्यों है ,
और महफ़िल जो जमे थी रोज़ ,उजड़ी क्यों है !
कोई तूफान से पहले की चुप्पी क्यों है ,
मेरे दिल में अजब सी धड़कन की सरसराहट क्यों है !
चलो मेरे गुज़रे ज़माने की रौनक मेरे साथ चलो ,
मैं तूफ़ान के बाद का नाद जो आहत है सुन लूँ ज़रा !!
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