Tuesday, 3 January 2012


कोई न मिला ऐसा , जिसने ज़ख्म न दिए हों ,दोस्ती से अच्छी तो दुश्मनी हमारी !
आप ना बनते , बंधू बांधव हमारे , तो मुश्किलें कहाँ जाती , उम्मीदें टूटती क्यों हमारी !!
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हमने  कर  दी  ज़मीं  ख़ाली , कुच्छ  ऐसा  समझते  हैं  ,
पर  हम  जब  मरते  हैं  , ख़ाली  हाथ  होते  हैं  !
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नफरत  सी  हो  गयी  है  ज़मानें   भर  से  मुझे  ,
और  फिर ये चाहता  हूँ  , देखे  प्यार  से मुझे  कोई  !!
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मेरे  खुदा  बिन  मांगे  बख्श  दी  जिंदगी  तूने  ,
अब  कर  कुच्छ  ऐसा  के  ये  यादगार  बन  जाए  !
कर  गुजरूँ  ज़माने  में  कुच्छ  ,मेहरबानियों  से  तेरी  ,
तेरा  भी  नाम  रह  जाये  ,मेरा  भी  नाम हो  जाए  !!
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जो  अपने  रास्ते  शुरू  से  ही  तय  कर  न  सके  ,
मुझे  मेरी  मंजिल  का  पता  देने  में  मशगूल  हैं  अब  !!
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चलो  कोई  ले  चलो  मुझे  खामोश  सितारों  की  महफ़िल  में  ,
आज मैं  भी  खामोशियों  की  ज़ुबान  का  राग  कैसा  है  सुन  लूँ  ज़रा  !
मैं  भी  देखूं  मेरी  उदासी  , उदासी  क्यों  है  ,
और  महफ़िल  जो  जमे  थी  रोज़  ,उजड़ी  क्यों  है  !
कोई  तूफान  से  पहले  की  चुप्पी  क्यों  है  ,
मेरे  दिल  में  अजब  सी  धड़कन  की  सरसराहट  क्यों  है  !
चलो  मेरे  गुज़रे ज़माने  की  रौनक  मेरे  साथ  चलो  ,
मैं  तूफ़ान  के  बाद  का  नाद  जो  आहत  है  सुन  लूँ  ज़रा  !!

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