घूम रहा हूँ अपने ही घर में , एक कमरे से दूजे में ,
ढूंढ रहा हूँ कोई दबा खजाना , मिले तो कहीं ,
और बन बैठूं , कब्ज़ा जमा , फिर वही नाग पुराना !!
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घूम रहा हूँ अपने ही घर में इक दास्ताँ बन ,
ढूंढ रहा हूँ कोई दबा खजाना , मिले तो कहीं ,
और बन बैठूं , कब्ज़ा जमा , फिर वही नाग पुराना !!
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घूम रहा हूँ अपने ही घर में इक दास्ताँ बन ,
सब कह रहे हैं , शख्स जो अब है , है तो है ,
पर वो नहीं है , जो हुआ करता था कभी !!
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आज देखूं तेरा अक्स मैं , बंद आँखों में मेरी ,
दुनियां जहाँ के फ़रिश्ते , तेरी पनाहगार में हैं !!
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होश उड़ा दे मेरे , जिस्म -ओ -जान के नखरे तेरे ,
अदाएं तेरी , मेरी आँखों के तहखानें में सिमट आई हैं !
मेरी आँखों की रौशनी के सब चाँद और सूरज ,
तेरी एक ही झलक से , मेरी आँखों में पलट आये हैं !
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वो चाँद दोबारा निकला है मुद्दत बाद ,
जिसकी चांदनी नगमों को जिया करती है !
वो सरसराती हवा जो बदन सिहराती है ,
आज फिर से चमन पर है मेहरबान मेरे !
वो बादल का पागल टुकड़ा फिर लहराया ,
चाँद के संग दौड़ लगाने आया मौसम बाद !
यादों की खुशबू चली बागों को महकाने ,
जाने कैसे महबूब की खबर फैली मुद्दत बाद !!
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आज देखूं तेरा अक्स मैं , बंद आँखों में मेरी ,
दुनियां जहाँ के फ़रिश्ते , तेरी पनाहगार में हैं !!
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होश उड़ा दे मेरे , जिस्म -ओ -जान के नखरे तेरे ,
अदाएं तेरी , मेरी आँखों के तहखानें में सिमट आई हैं !
मेरी आँखों की रौशनी के सब चाँद और सूरज ,
तेरी एक ही झलक से , मेरी आँखों में पलट आये हैं !
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वो चाँद दोबारा निकला है मुद्दत बाद ,
जिसकी चांदनी नगमों को जिया करती है !
वो सरसराती हवा जो बदन सिहराती है ,
आज फिर से चमन पर है मेहरबान मेरे !
वो बादल का पागल टुकड़ा फिर लहराया ,
चाँद के संग दौड़ लगाने आया मौसम बाद !
यादों की खुशबू चली बागों को महकाने ,
जाने कैसे महबूब की खबर फैली मुद्दत बाद !!
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