मेरे क़दमों में न हो धमक सेनानी की ,
पर कदम मेरे भी बढे जाते हैं , मंच की ओर !
मैं भी उत्साहित हूँ गणतंत्र दिवस पर विशेष ,
रक्त मेरा भी बहे , देश के झंडे में रंग लाने को !
मैं भी ले जाऊं कदम सर से ऊपर ठन से ,
एड़ी मेरी भी लगे , दुश्मन के सीने पे धमकानें को !
मैं भी बोलूँ क़दमों को , ताल में बढ़ना सीखो ,
हाथों की ऊंचाई से कहूं , आकाश में चढ़ना सीखो !
मेरा भी सीना हो चौड़ा , गीतों से सेनानी के ,
मेरी भी गर्दन अकड़े , ध्वज को प्रणाम करते हुए !
मैं भी एक स्वर में उच्चारूं , देश की जय ,
ध्वज की जय , सेनानी की जय , भारत माता की जय !
और हर वर्ष गाता चलूँ , देश के सुन्दर गीत ,
हर गणतंत्र दिवस पर , साक्षी बनूँ ,देश के बढ़ते क़दमों का !!
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