Thursday, 26 January 2012


मेरे   क़दमों  में   न   हो   धमक   सेनानी   की  ,
पर   कदम   मेरे   भी   बढे   जाते   हैं , मंच   की   ओर !
मैं   भी   उत्साहित   हूँ   गणतंत्र   दिवस   पर   विशेष  ,
रक्त  मेरा   भी   बहे  ,  देश   के   झंडे   में   रंग   लाने   को !
मैं   भी   ले   जाऊं   कदम   सर   से   ऊपर   ठन   से  ,
एड़ी   मेरी    भी   लगे  ,  दुश्मन   के   सीने   पे   धमकानें   को  !
मैं   भी   बोलूँ   क़दमों   को  ,  ताल   में   बढ़ना   सीखो  ,
हाथों   की   ऊंचाई   से   कहूं  ,  आकाश   में   चढ़ना   सीखो  !
मेरा   भी   सीना   हो   चौड़ा   ,  गीतों   से   सेनानी   के  ,
मेरी   भी   गर्दन   अकड़े   ,  ध्वज   को   प्रणाम   करते   हुए  !
मैं   भी   एक   स्वर   में   उच्चारूं  ,  देश   की   जय  ,
ध्वज   की   जय   ,  सेनानी   की   जय   ,  भारत   माता   की   जय !
और   हर   वर्ष   गाता   चलूँ   ,  देश   के   सुन्दर   गीत  ,
हर    गणतंत्र   दिवस   पर  , साक्षी   बनूँ  ,देश   के   बढ़ते   क़दमों का !!  

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