छोड़ आया था बेकार समझ , जिन गट्ठों को मैं ,
मेरी गाड़ी के बनेंगे पहिये वो , मालूम , न था !!
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जहाँ में आना हुआ , जाना भी होगा इक दिन ,
हैराँ तो मैं इसलिए ,के मुझे , घर का पता नहीं !!
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गूंथा गया मन मेरा , तब कहीं जा ग़ुल खिला ,
भंवरे को लगी जब भनक , बाग़ को गुँजा दिया ,
मैं उबर भी न सका था , प्रसव पीड़ा से अभी ,
कि भगवान के, चोर भक्त ने , गला मेरा मरोड़ दिया !!
मेरी गाड़ी के बनेंगे पहिये वो , मालूम , न था !!
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जहाँ में आना हुआ , जाना भी होगा इक दिन ,
हैराँ तो मैं इसलिए ,के मुझे , घर का पता नहीं !!
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गूंथा गया मन मेरा , तब कहीं जा ग़ुल खिला ,
भंवरे को लगी जब भनक , बाग़ को गुँजा दिया ,
मैं उबर भी न सका था , प्रसव पीड़ा से अभी ,
कि भगवान के, चोर भक्त ने , गला मेरा मरोड़ दिया !!
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