चलो , मैं भाग जाऊं आज सारे तनावों से ,
चलो , मैं भाग जाऊं आज सारे गुनाहों से ,
चलो , चलें , कोई रंगीन सपना बुने ,
चलो , चलें , किसी हसीं दुनियाँ में चलें ,
तुमको तो , सिखादूं दौड़ना पर्वत पर ,
तुमको तो , दिखादूं मैं चाँद का घर ,
हसीं तारे नज़ारे संग संग ले चलूँगा मैं ,
विदा हवाओं को कर , बादलों को ले उडूँगा मैं ,
ये मेरा इन्द्रधनुष सुन्दर , खड़ा है इंतजार में आज ,
ये मेरा दिल करे , क्यों न झूला डाल दूं इसपर ,
आ बारिश में कीचड़ उछालें सफ़ेद धोती पर ,
आ शरारत करके बूढ़े से , भाग लें छतपर ,
खींचें डगमगाते विश्वास की ज़ंजीर खुलकर ,
मन के अंधेरों को उजालों से बदल लें चलकर ,
और शरद में ग्रीष्म का एहसास करलें क्यों न आज ,
आओ बंधू चलो झांकें , बचपन के निश्छल मन में आज ,
आ तुमको भी छुड़ा दूं इन तनावों से ,
आ तुमको भी भगादूं आसमान में आज !!
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