मैं तो इठला के चलूंगी यौवन में , जी तेरा जले तो जले ,
आग हूँ जंगल को जलाती हूँ ,चिंगारी से , बस तेरा कोई न चले !
उछालूँ दुपट्टे को धुवें की तरह , हर पल शक्ल चिढ़ाए तेरी ,
क़दमों में मेरे बिछे तू सड़क की तरह , जिसपे मेरी अम्पाला चले !
हर इशारे पे मेरे , मजनूँ दौड़ें इधर उधर , और हैराँ हो तेरी नज़र ,
तू चले लट्ठ को हाथों में पकड़ , पर सिवा झाड़ी , और पे बस न चले !
तेरी जायदाद को जिसको तू सिर्फ अपना समझे , नचाती चलूँ ,
और झुठलाती रहूँ सबको नेताओं के वादों की तरह , तेरा सांस चले न चले !!
आग हूँ जंगल को जलाती हूँ ,चिंगारी से , बस तेरा कोई न चले !
उछालूँ दुपट्टे को धुवें की तरह , हर पल शक्ल चिढ़ाए तेरी ,
क़दमों में मेरे बिछे तू सड़क की तरह , जिसपे मेरी अम्पाला चले !
हर इशारे पे मेरे , मजनूँ दौड़ें इधर उधर , और हैराँ हो तेरी नज़र ,
तू चले लट्ठ को हाथों में पकड़ , पर सिवा झाड़ी , और पे बस न चले !
तेरी जायदाद को जिसको तू सिर्फ अपना समझे , नचाती चलूँ ,
और झुठलाती रहूँ सबको नेताओं के वादों की तरह , तेरा सांस चले न चले !!
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