आज ग़मों की बरसात जम के हुयी , पर भीगे वही जिनके गम थे !
अपनी तो आँखें नाम थी , उनकी आँखों से बरसात हुई , भीगे हम थे !!
जिनको टाला नहीं जा सकता होनी की तरह ,
अक्स ख़्वाबों में हैं उभरे उनके ऐसे ,
मैं भी इल्ज़ाम रातों पे धरता हूँ हमेशा की तरह ,
और बेखटके सो जाता हूँ उनके जैसे !!
जाम उनके हिस्से का भी पी जाता हूँ ,
उनकी सेहत का ख्याल ,बराबर है मुझे !!
रंग चेहरे से न उनके जाए ,
बद्द्दुआ सारी अपने चेहरे पे लिखवा लाया हूँ !!
वो मेरी मेहरबानियों को गुनाहों की शक्ल दे आया है ,
अब देखते हैं खुदा कितना खुदा होता है !!
आसमानों पे चमका कोई , और तारा मेरा हुआ , कहते हैं ,
यूँ उम्र सारी , उसे अँधेरा देता रहा हो चाहे !!
ये ज़मीं , आसमाँ सारे , चापलूसों ने नाम अपने कराये यूँ ,
हर तारे के करीब उनका ही घेरा है !!
जम के बरसा है कोई , मेरे मन आँगन में ,
दिल से आंच भी आती है कोई , तो ठंडी ही आती है अब !!
चाहता तो नहीं हूँ मैं , जल जाए वो ,
पर पेट्रोल सा बदन और दिमाग में गर्मी लिए घूम रहा है वो !
आँख से रगड़ भर दो तुम , माचिस की तीली जैसे ,
पल में स्वाहा होने में , देर ही कितनी है ?
और मैं बदन को अपने पानी का चश्मा किये , बर्फ को सर पे लपेटे हूँ ,
अंगार भी आये कोई ,तो बुझ के चला जाता है !!
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