ख़ुदा का बंदा है ,
ख़ुदा को ना मानने वाला भी ,
ये बात और है ,
ख़ुद से नाराज़ है कुछ ज़्यादा अभी !!
.................................
कैसे कह दूं ख़ुदा से पत्थर हूँ ?
कैसे कह दूं असर कुछ नहीं होता ?
जब ख़ुदा भी पिघले सुन फ़रियाद ,
मैं तो उसकी बस क़ुदरत हूँ !!
..........................................
तेरी रज़ा नहीं जिसमे ,
उसकी रज़ा समझ ले तू !!
...........................................
रंग तो थे सब भगवान् के पास !
पर श्रृष्टि रंगी गयी सब कर्मानुसार !!
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उसकी रज़ा का अफ़सोस ना कर ,
ख़ुद से ज़्यादा वो तेरा है !
अपना ना नाम कोई उसका ,
जो तुझे पसंद , वो उसका है !!
................................................
मेरी उम्र को इश्क सिखाये तू ,
क्यों ना तुझी पे डोरे डालूँ मैं !!
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मेरी ना सोच तू , ना ज़माने की सोच ,
या तो तू है , या ख़ुदा तेरा !!
ख़ुदा को ना मानने वाला भी ,
ये बात और है ,
ख़ुद से नाराज़ है कुछ ज़्यादा अभी !!
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कैसे कह दूं ख़ुदा से पत्थर हूँ ?
कैसे कह दूं असर कुछ नहीं होता ?
जब ख़ुदा भी पिघले सुन फ़रियाद ,
मैं तो उसकी बस क़ुदरत हूँ !!
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तेरी रज़ा नहीं जिसमे ,
उसकी रज़ा समझ ले तू !!
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रंग तो थे सब भगवान् के पास !
पर श्रृष्टि रंगी गयी सब कर्मानुसार !!
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उसकी रज़ा का अफ़सोस ना कर ,
ख़ुद से ज़्यादा वो तेरा है !
अपना ना नाम कोई उसका ,
जो तुझे पसंद , वो उसका है !!
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मेरी उम्र को इश्क सिखाये तू ,
क्यों ना तुझी पे डोरे डालूँ मैं !!
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मेरी ना सोच तू , ना ज़माने की सोच ,
या तो तू है , या ख़ुदा तेरा !!
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