घूँट है आखिरी और तिश्नगी है बहुत ,
बड़ी हसरतों से जाम को घूरे जाता हूँ !
महसूस होता है जंग पे जाना है अब ,
और माशूक से विदा लेने की घड़ी आई है !
सोच , चीलों की तरह दिमाग में फिरते हैं ,
और मेरे होश बाकी हैं बहुत तड़पाने को !
हौसला मेरा भी और साक़ी का भी पस्त है अब ,
मेरी नज़र जाम पे और साक़ी की गड़ी मुझपे है !
अच्छा , संगदिलो , अलविदा कहनें का वक्त आया है ,
ए रूह मेरी , घूँट आखिरी तर करनें को आता है !!
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