झूम कर चला कोई हवा में धूमता दौड़ता ,
बवंडर नहीं तो और होगा क्या यार ,
लसलसाती चली फुत्कारती चली नागिनों की तरह ,
तड़ित ही तो होगी ? है न यार ,
पत्थरों को दौड़ाया हो भेड़ों की तरह ,
मचाया हो शोर गड़रियों की तरह ? पहाड़ी नदिया यार ,
चित्रकार भी जिसके आगे पानी भरें ,
शक्लें बनाये हर पल हर घड़ी ? पागल बादल है यार ,
रंगे चुनरिया ललारियों की तरह ? फूल ?
तितली ? मोर ? मोनाल ? इन्द्रधनुष ? वसंत ? ख्वाब ?
नहीं रे अनाड़ी , मेरे भोले भंडारी ,
वो तेरा रचयिता है , मेरा रचयिता है , ईश्वर मेरे यार !!
बवंडर नहीं तो और होगा क्या यार ,
लसलसाती चली फुत्कारती चली नागिनों की तरह ,
तड़ित ही तो होगी ? है न यार ,
पत्थरों को दौड़ाया हो भेड़ों की तरह ,
मचाया हो शोर गड़रियों की तरह ? पहाड़ी नदिया यार ,
चित्रकार भी जिसके आगे पानी भरें ,
शक्लें बनाये हर पल हर घड़ी ? पागल बादल है यार ,
रंगे चुनरिया ललारियों की तरह ? फूल ?
तितली ? मोर ? मोनाल ? इन्द्रधनुष ? वसंत ? ख्वाब ?
नहीं रे अनाड़ी , मेरे भोले भंडारी ,
वो तेरा रचयिता है , मेरा रचयिता है , ईश्वर मेरे यार !!
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