मुझे आज भी हैं याद मानव के बाहूबल के वो गीत ,
थे न जब कोई मशीनी हाथ , और ,
पर्वतों पे ले जानी थी कोई भारी सी चीज़ ,
प्रथम एक बोलता था मीठी सी वाणी ,
तब सब इकठ्ठा खींचते थे और बोलते थे हईसा !!
एक,
तेरे जोरे ,
सब,
हईसा !
पर्वत तोड़े ,
हईसा !
झीकी मंजी ,
हईसा !
बाण पुराना ,
हईसा !
जोर नी लांदा ,
हईसा !
हरामी कुलिया ,
हईसा !
धड़ी धड़ी खांदा ,
हईसा !
घड़ी घड़ी जांदा ,
हईसा !
बोली बोलो ,
हईसा !
ताले खोलो ,
हईसा !
और देखते देखते , पत्थर , बिजली के खम्बे आदि सब ,
पहुँच जाते थे उन चोटियों पर जहाँ नज़र भी नहीं जाती थी ,
आज करता हूँ उन सब हस्तियों को सादर प्रणाम ,
जिनके प्रयत्न बिना आज हम वहां नहीं होते जहाँ हम हैं !!
थे न जब कोई मशीनी हाथ , और ,
पर्वतों पे ले जानी थी कोई भारी सी चीज़ ,
प्रथम एक बोलता था मीठी सी वाणी ,
तब सब इकठ्ठा खींचते थे और बोलते थे हईसा !!
एक,
तेरे जोरे ,
सब,
हईसा !
पर्वत तोड़े ,
हईसा !
झीकी मंजी ,
हईसा !
बाण पुराना ,
हईसा !
जोर नी लांदा ,
हईसा !
हरामी कुलिया ,
हईसा !
धड़ी धड़ी खांदा ,
हईसा !
घड़ी घड़ी जांदा ,
हईसा !
बोली बोलो ,
हईसा !
ताले खोलो ,
हईसा !
और देखते देखते , पत्थर , बिजली के खम्बे आदि सब ,
पहुँच जाते थे उन चोटियों पर जहाँ नज़र भी नहीं जाती थी ,
आज करता हूँ उन सब हस्तियों को सादर प्रणाम ,
जिनके प्रयत्न बिना आज हम वहां नहीं होते जहाँ हम हैं !!
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