Sunday, 22 January 2012


आवारा   हैं   मेरे   कदम   ,  चलते   हैं  दो  कदम  भटक   जाते   हैं  ,
बदनाम   मोहल्लों   में   जहाँ  , शरीफों   का   जाना   है   मना  ,
घूम   आते   हैं   ,  दुनियाँ   की   नसीहतों   के   ख़िलाफ़  ,
दर्द   की   चीखों   को   महसूस   , करते   हैं  , ठिठक   जाते   हैं  !!
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मंदिरों   की   घंटियाँ   ,  मस्जिद   की   अज़ान  ,  जिनके   लिए   बेमतलब   है  ,
दिल   की   आवाजों   को   ,  ध्यान   से   सुन   ,  समझने   की   शक्ति   है   उन्हें  ,
वो   मेरी   ,  शहद   सी   बोली   में   , छल   है   क्या   ?  जानते   हैं   ,
पर   मेरा   मान   रख   लेते   हैं   , टूटी   कुर्सी  पे   इज्ज़त   से   बिठा   देते   हैं  !!
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वो   जानते   हैं  ,  बेमतलब   का   आना   नहीं   होता  ,  उनके   घरों   में   मेरा  ,
या   तो   कोई   सर्वे   सरकारी   होगा   ,  नकली   आंकड़ों   के   लिए   , 
या   चुनाव   की   दस्तक   है   दरवाज़े   पे   ,  बड़े   जोर   से   आई   है   ,
या   कहीं   मर   तो   नहीं   कोई   बच्चा   गया ,  उनकी   गाड़ी   के   नीचे   आकर   ?
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हैरानी   से   मुंह   मेरा   वो   ताके   जाते   हैं   ,  उचरुंगा   कुछ  ,
कोई   कहानी   निकलेगी   ,  मुंह   से   मेरे   ?  अंदाज़   लगते   हैं    वो   ,
या   मैं   ही   किसी   कहानी   की   खोज   में   आया   हूँ  ,  बस्ती   में   ,
फिर   से  , शहर   और   सपना   को  फिल्मानें  , जीवंत   बनाने   के  लिए   !!
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या   कोई   चैरिटी   हॉस्पिटल   का   प्रोपोज़ल    है   , या   स्कूल   गरीबों   के   नाम  ?
सब्सिडी   आई  तो   नहीं    है   मशीनों   ,  उपकरणों   के   नाम   ,
या   शहर   का   विस्तारीकरण   होना   है   ,  फ्लाईओवर   बनाना   है  ,  या   पार्क   कोई   ,
अरे   भाई   बोलो   तो   कुछ   क्यों   जान   सुखाते   हो   हमारी   यूं   ही   ,
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अब   मेरे   आवारा   क़दमों   को   अपनी   आवारगी   महसूस   हुई   ,
क्यों   घुस   आये   पहले   से   डरे   लोगों  को  और  डराने   के  लिए   ?
क्यों   झिंझोड़े   मेरे   क़दमों   नें   उनके   और   मेरे   विचार   ?
अब   मैं   समझा   आवारगी   ये   अच्छी   नहीं   ,  जोड़े   विदा   लेने   को   हाथ  ,
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बड़ी   मुश्किल   से   समझाया   ,  के   राही   भटका   है   ,  राहों   से   ,
मैं   तो   आया   था   मंजिल   का   पता   करने   , बस्ती   में   तुम्हारी   ,
मुझे   दिख   भी   गयी   , और   भटकाव   भी   कम   है   दिल   में   ,
मैं   कल   फिर   आऊँगा   ,  तुम्हें   अक्षर   ज्ञान   देने   ,  और   जीवन   ज्ञान   लेने  !!

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