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बरसों बरस से वो सुबह सवेरे राम धुन सुनाता है ,
और मैं तरस जाता हूँ शक्ल उसकी देखूं ज़रा ,
आज अचानक सामने जब वो पड़ा राम राम करके निकल गया आगे ,
और मैं सोचता ही रहा वो मांगेगा कुछ मुझसे ,
जैसे मैं ही हूँ जो सबको देता हूँ !!
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ज़रा शोर की आवाजों को धीमा करलो ,
दरवाज़े की दस्तक तो सुन लूं ज़रा ,
ख़ुदा न करे कोई आया हो ,
और लौटे मेरा ज़मीर जगाये बगैर !!
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जामुनों ने रस रंग सारे रसना को क्यों दे दिए ,
अब दिखाऊँ तो रंग जामुनी , और बोलूँ तो एंठती है !!
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टिप टिप बरसते पानिओं ने संगीत कुछ छेड़ा है यूँ ,
कहीं बजे डिब्बा , घड़ा , कहीं टीन की चादर कोई !
कभी इक ताल , कभी कहरवा कभी तिरकिट धूम सुने ,
और कभी घनघोर बादल गरगज गरज आड़ी तान लेकर ,
तड़ित संग राग मल्हार सुनाये मुझको !!
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विश्वास जाता जब किसी का , निश्वास पे निश्वास आता ,
और सोचता वह अकेला , हा ! ये सब क्यों हुआ ?
पर मन निरुत्तर सा खड़ा , प्रश्न स्वयं से दोहराता जाता , हा ! ये सब क्यों हुआ !
अनंत बार दोहराने पर भी जब ,प्रश्न निरुत्तर लौट आता ,
डगमगा विश्वास जाता , और वो ठगा सा स्वयं को भी एक प्रश्न चिन्ह सा ही पता !
तब अचानक ,बदल देता है तत्क्षण , पैमाने सारे नए पुराने ,
और बोलता है मन ही मन वो , हाय ! शक पैदा हुआ !!
मैंने तो कुछ न कहा , और तुम अचानक डर गए क्यों ? यार तुमभी ...
मैंने तो कुछ देखा न , और तुम अचानक सकपका गए क्यों ? यार तुमभी ...
मैंने तो कानों सुना न ,और तुम अचानक भड़के तो क्यों ? यार तुमभी ...
मैं तो तुमसे हूँ खफा कब ,तुम ही रूठे हरदम अचानक ? यार तुमभी ...
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आदतों से परेशान हैं वो मेरी , सच के आगे हार जाता हूँ मैं ,
देखो न अब निश्चल पड़ा हूँ मैं ,
दूत आया था , बता के गया मौत आई है तेरी !!
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सनम को पसंद है , उनसे हार जाना मेरा ,
और मेरा शौक़ है वो जीतें ,जिंदगी में सदा !!
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