Saturday, 28 January 2012

अश्कों  को  ज़ुबां  होती  ,तो  कुछ  राज़  ना  रह  जाता  ,
अश्कों  को  पीना  भी  , गुनाहों  में  आता  !!

............................
साए  को  भी  हो  महसूस  ,
उस  से  पहले  गुम  हो  जाती  हूँ  ,
नज़र  हूँ  , हूँ  भी  और  नहीं  भी हूँ  !!

........................
सुख  हो  जाएँ  कम  कोई  बात  नहीं ,
पर  दर्द  न  मिलें मेरे  दुश्मन  को  भी  ,
मेरा  बसंत , तो  तब होगा  बसंत , जब ,
हर  ज़ख्म  को  मरहम मिल  जाएगा  !!


No comments:

Post a Comment