अश्कों को ज़ुबां होती ,तो कुछ राज़ ना रह जाता ,
अश्कों को पीना भी , गुनाहों में आता !!
............................
साए को भी हो महसूस ,
उस से पहले गुम हो जाती हूँ ,
नज़र हूँ , हूँ भी और नहीं भी हूँ !!
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सुख हो जाएँ कम कोई बात नहीं ,
पर दर्द न मिलें मेरे दुश्मन को भी ,
मेरा बसंत , तो तब होगा बसंत , जब ,
हर ज़ख्म को मरहम मिल जाएगा !!
अश्कों को पीना भी , गुनाहों में आता !!
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साए को भी हो महसूस ,
उस से पहले गुम हो जाती हूँ ,
नज़र हूँ , हूँ भी और नहीं भी हूँ !!
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सुख हो जाएँ कम कोई बात नहीं ,
पर दर्द न मिलें मेरे दुश्मन को भी ,
मेरा बसंत , तो तब होगा बसंत , जब ,
हर ज़ख्म को मरहम मिल जाएगा !!
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