किताबों से निकल आये पन्ने मेरे ,
अर्थ मुझे हर रोज़ नए समझाते हैं ,
और मैं ठगा सा , मुंह बाए खड़ा ,
अनजान अपढ़ , महसूस किया करता हूँ !!
...................................................
अभी तो कलम की स्याही भर हूँ ,
लिख दोगे तो ग़ज़ल बन जाऊंगा मैं !
लबों को हरकत भर देना दिल से अपने ,
हर होंठ पे थिरकता नज़र आऊँगा मैं !
बदन में बिजली सी भर दो नज़र से ,
दुनियां ही को टेढ़ा कर आऊँगा मैं !
घबराओ न , मेरी अदाओं से तुम ,
गम तेरा हूँ , तेरे ही काबू में आऊँगा मैं !!
अर्थ मुझे हर रोज़ नए समझाते हैं ,
और मैं ठगा सा , मुंह बाए खड़ा ,
अनजान अपढ़ , महसूस किया करता हूँ !!
...................................................
अभी तो कलम की स्याही भर हूँ ,
लिख दोगे तो ग़ज़ल बन जाऊंगा मैं !
लबों को हरकत भर देना दिल से अपने ,
हर होंठ पे थिरकता नज़र आऊँगा मैं !
बदन में बिजली सी भर दो नज़र से ,
दुनियां ही को टेढ़ा कर आऊँगा मैं !
घबराओ न , मेरी अदाओं से तुम ,
गम तेरा हूँ , तेरे ही काबू में आऊँगा मैं !!
No comments:
Post a Comment