छोड़ आऊँ किस जहाँ में गम मैं सारे तू बता ,
मैंने तो दिल की हद से बाहर , कभी कदम रक्खा नहीं !
घर से बाहर मुझको तो दिखते हैं सारे अजनबी ,
गम मेरे सब अजनबी हैं पूछेगा फिर उनको कौन ?
आ चलो चल ,चल के देखें ,कोई मयखाने में है ?
सुना है गमज़दों से ,गम की ज़न्नत है कहीं तो , है वहां !!
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ओले बरस रहे हैं सर्दियों की बारिशें हैं ,
बूँदें भी अकड़ गयी हैं , सनम को तन्हा देख !!
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मेरी साँसों ने पिघलाई है बर्फ , उनपर जमी हुयी ,
अब दूध पानी के जैसे , घुल मिल रहे हैं वो !!
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तू ख़्वाबों में साकी बन जा , लबों पे तिश्नगी सी है ,
दो बूँद पसीना पेशानी से गिरा , मदहोश हो लूं मैं !!
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