उनको हमदर्दियां भा गयीं दुनिया में इतनी ,
के बीमारी से बाहिर आना हुआ मुश्किल उनका !!
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गम के पीछे , बहुत दिन बाद ख़ुशी आई है ,
जैसे धूप खिली हो सर्दियों की बारिश के बाद !!
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बहुत मुश्किल से खींचे हैं पीछे कदम ,
अब पलट आवाज़ ना दो तुम मुझको !
तुम ग़ैर नहीं तो अपने भी नहीं अब ,
बहुत दर्द है सीने में जो तूने है दिया !!
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के बीमारी से बाहिर आना हुआ मुश्किल उनका !!
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गम के पीछे , बहुत दिन बाद ख़ुशी आई है ,
जैसे धूप खिली हो सर्दियों की बारिश के बाद !!
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बहुत मुश्किल से खींचे हैं पीछे कदम ,
अब पलट आवाज़ ना दो तुम मुझको !
तुम ग़ैर नहीं तो अपने भी नहीं अब ,
बहुत दर्द है सीने में जो तूने है दिया !!
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फैल तो जाए खुशबू चन्दन की हवाओं में ,
मगर गुलाब , जूही , चमेली , खस और बाक़ी सब ,
बेघर न हो जाएँ घर से मेरे ख्याल रखना !
बिखर तो जाने दे रंग गुलाबी चूनर में मेरे ,
मगर लाल , नीला , हरा , पीला , केसरी और बाक़ी सब ,
ग़ायब न हो जाएँ इन्द्रधनुष से मेरे , ख्याल रखना !
बजने तो दे फ़िल्मी गाने देसी अंग्रेजी महफ़िलों में ,
पर लोकगीत , ग़ज़ल , क़व्वाली , सूफी और बाक़ी सब ,
अनजानें न बने कानों को मेरे ख्याल रखना !
और ख्याल रखना के ख्याल तुमको रहे संस्कृति का मेरी ,
जो सदा यूँ ही बनती बिगडती रही सदियों से कालान्तर में ,
पर रूह जो मेरी भारतीयता की बाक़ी रही , अब भी रहे , ख्याल रखना !!
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