यादों को तेरी मैं सहला तो लूं ,
पर ज़ख्म नए हैं हाथों में !
ऐसा न हो यादों को तेरी ,
नापाक कहीं से कर दूं मैं !!
......................
बताओ तो राहों में कहीं भूले तो नहीं कुछ ,
क्यों लगता है मुझे अहसास ये , हल्का हूँ तेरे साथ ?
......................
ख़ाली से अच्छा है , भरे रहें हम ,
खुशियाँ हों , तन्हाईयाँ हों , या के हों ग़म !!
.......................
समझा था थका देगी , लम्बाई राहों की ,
पर तेरे साथ ने सफ़र को भुला दिया !
......................
बेरुख़ी से न निगाहें फेरो तुम ,
इलज़ाम ऐ नफ़रत आयद हो जाएगा !
मैं ही महफ़िल से होता हूँ रुखस्त ,
रुखसती का कोई बहाना कर लेना !!
पर ज़ख्म नए हैं हाथों में !
ऐसा न हो यादों को तेरी ,
नापाक कहीं से कर दूं मैं !!
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बताओ तो राहों में कहीं भूले तो नहीं कुछ ,
क्यों लगता है मुझे अहसास ये , हल्का हूँ तेरे साथ ?
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ख़ाली से अच्छा है , भरे रहें हम ,
खुशियाँ हों , तन्हाईयाँ हों , या के हों ग़म !!
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समझा था थका देगी , लम्बाई राहों की ,
पर तेरे साथ ने सफ़र को भुला दिया !
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बेरुख़ी से न निगाहें फेरो तुम ,
इलज़ाम ऐ नफ़रत आयद हो जाएगा !
मैं ही महफ़िल से होता हूँ रुखस्त ,
रुखसती का कोई बहाना कर लेना !!
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