ना पूछ के हँसते क्यों हो ,
रो आया हूँ राहों में बहुत ,
अब तो मंजिल है या , पड़ाव ,
ये तो जान सका ना कोई दुनियाँ में !!
…………….
तुमने जाना भी तो क्या जाना ,
तुमने ना जाना भी तो क्या ,
तुमने खोया भी तो क्या खोया ,
तुमने पाया भी तो क्या ,
इसमें हासिल होगा क्या ,
ऐ मेरे मन पागल ,
तू तो बंजारा बन ,
बंजारों की गति चलता जा !!
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रहनें दे सोच में ,
जिनको है , सत्य की खोज ,
रहनें दे अफ़सोस में ,
जिनको है किस्मत से गिला ,
तू तो मस्तों की टोली देख ,
मस्तों की मस्ती का तज़ा देख ,
जो मज़ा हासिल ना हुआ शहज़ादों को ,
उसकी , रंगत देख , मदहोशी देख ,
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ऐ मेरे मन , छोड़ दे कश्ती को , बिन पतवार ,
फिर देख हवाएं करती हैं क्या ,
तू तो सिर्फ नज़ारा कर ,
किनारे बैठे हुओं का ,
जो ज़न्नत को , या भगवान् को ,
घूरे जाते हैं ,
कर वो करतब जो कराये वो ,
उसके इशारों को मान , बिना शक रे मन चंचल !!
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वो निगाहों से है दूर तो क्या ?
तेरे मन को तो महसूस हुआ करता है ,
उसे ना मानने वाले भी बहुत हैं ,
तू भी ना मानें तो क्या ?
तू उसे मजबूरी की शक्ल ना दे ,
वो तेरे अन्दर है , और तू उसमें शामिल ,
तू ही कर्ता है , करतार भी है ,
ऐसा करके तो देख !!
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ना पूछ के हँसते क्यों हो ,
रो आया हूँ राहों में बहुत ,
अब तू मस्ती का मज़ा देख ,
और मुझे , मस्ती , मस्ती , बस मस्ती में जीने दे !!