श्रधांजलि !!
हे भगवान् ! मुझे माफ़ करना , में एक ऐसा गुनाह करने जा रहा हूँ जिसकी कोई माफ़ी नहीं ! अगर माफ़ न कर सको तो , इतना तो कर ही सकते हो की ये बात मेरे पिताजी तक न पहुंचे ! मैंने उनसे ये वायदा किया था की मैं उनकी इच्छा विरुद्ध कुछ भी नहीं करूंगा , और अब जो मैं करने जा रहा हूँ वो अवश्य ही उनकी इच्छानुसार नहीं है ! तू मुझे एक बार फिर शरण में ले भगवन !!
हे भगवान् , क्या ये सही होगा की जो लोग तेरे लिए पूर्ण समर्पित हों उनके बारे में कोई न जाने ? मेरे पिताजी की यही अंतिम इच्छा थी ! मैं अपने पिताजी का गुणगान नहीं करना चाहता , परन्तु ऐसे व्यक्तित्वों को भी कोई क्यों याद न करे , जिनका पूरा जीवन तुम्हारे और समाज के प्रति समर्पित रहा हो ! मैं ये श्रधांजलि उन सब लोगों के लिए समर्पित करना चाहता हूँ , जिन्हों ने पिताजी की तरह या उनसे भी अच्छी सेवाएं देश के लिए किसी भी क्षेत्र में दी हों ! कोई प्रश्न करेगा , क्यों किसी दूसरे को नहीं चुना ? क्यों अपने ही बाप के बारे में लिख रहा है ? सो भैया मुझे जितना पता मेरे पिताजी के बारे में है उतना किसी दुसरे के बारे में नहीं है ! अगर किसी को कोई बात पसंद में न आये वो मुझे या मेरे पिताजी को गाली निकालने का पूरा हक़ रखता है , सो क्षमायाचना के साथ !
मेरे पिताजी 10वीं के बाद ऍफ़ .एस . सी . की ! किन्हीं कारणों से ,जो व्यक्यिगत हैं , डॉक्टर नहीं बन पाए ! कोई ग्लानी नहीं ! सरकार ने प्राइमरी अध्यापक नियुक्त किया , और बाद में जे .बी .टी . कराई , प्राइवेट बी .ऐ . पास किया और बी . एड . की ! अब हाई स्कूल में पढ़ने लगे ! मशहूर एक साइंस टीचर के रूप में हुए ! वे खेलों में , पढाई में , संगीत में और पेंटिंग में गुरु और शिष्य दोनों थे ! इन सब बातों का कोई औचित्य नहीं !
अब असली बात पे आते हैं , मैं बड़ा होने लगा और जीवन को समझने लगा ! माँ ने पिताजी को बोला , बच्चा बड़ा हो रहा है , आप इसे पढाया करिए , सारा ज़माना आपकी तारीफ करता है कुछ ये भी बन जाएगा ! अब उत्तर ध्यान से सुनिए , पिताजी “ मैं जो काम इमानदारी से सारा दिन स्कूल में करके आता हूँ , वही काम , लगातार घर में पढ़ाकर नहीं कर सकता ! इसे बोलो अपने आप पढ़े , जो न आये पूछे , बता दूंगा !! “ मेरे तो जैसे जान आ गयी छूटे पिताजी के अनुशाशन से ! पर जो नुकसान हुआ अब पता चलता है ! साइंस और मैथ सब्जेक्ट पढ़ाने के बाद अध्यापक कितना थकता होता है आप सब अंदाजा लगनें में सक्षम हैं मैं जानता हूँ !! पिताजी बिना किताब पकडे लगातार खड़े रहकर पढ़ाते थे , कभी क्लास में बैठते नहीं थे !!
अब माँ की दूसरी फरमाईश , हाथ तंग है , आपके पास दिन रात ट्यूशन पढनें की प्रार्थना करते हुए लोग आते हैं , आप एक दो ट्यूशन ही पकड़ लो , कुछ सहायता मिल जायेगी घर चलाने में , उत्तर फिर ध्यान से सुनियें “ मैं नियम विरुद्ध कोई बात नहीं करता , सरकारी अध्यापक ट्युशन नहीं पढ़ा सकता , मैं भी नहीं पढ़ाऊंगा , दूसरी बात , जो ट्यूशन पढ़ायेगा वह अध्यापक निष्पक्ष नहीं रह पायेगा , इसलिए मैं किसी के साथ अन्याय नहीं करूंगा ! मैं ट्यूशन नहीं पढ़ाऊंगा !”
अब प्रोलोभन रूप बदल कर आने लगा , साइंस और मैथ पढ़ाने वालों के पास , हेल्प बुक्स , कुंजियों , गाइड्स आदि के प्रकाशक आने लगे , उस ज़मानें में इनका इतना प्रचार नहीं था , हमारे प्रकाशन लगवायिये आपको कमीशन देंगे !! और पिताजी ने प्रकाशक बाहर खदेड़ दिए , मैं बच्चों के जीवन से खिलवाड़ नहीं कर सकता !! हाँ अगर कोई बछा घर में कुछ पूछने आ जाता था उसे मुफ्त पढ़ाते थे , हमने पूछा क्यों ? बोले जिज्ञासु को लौटने से बड़ा पाप कोई नहीं !!
अब मैं कालेज पढने लगा ! सब प्रोफेस्सर उनकी इज्ज़त करते थे , क्योंकि वो उनको जानते थे , उनके पढ़ाये बच्चों पर कम मेहनत करनी पड़ती थी ! पिताजी से मैनें कहा प्रक्टिकल के लिए प्रोफेस्सर को बोल दीजिये कुछ नंबर अधिक हो जायेंगे मेरे !! और वो डांट अब तक याद है मुझे , “ ख़बरदार किसी को ये मालूम हो की तू मेरा बेटा है , बाकी बच्चे कहाँ जायेंगे . ये जीवन है , स्वस्थ प्रतिस्पर्धा से आगे बढ़ो ! “
अब प्रलोभन साथियों की तरफ से आया मास्टर जी , आप नॅशनल अवार्ड के लिए प्रार्थना पत्र दो , आपको अवार्ड मिल जाएगा ( अभी नॅशनल अवार्ड नए नए चले थे ) दो वर्ष सेवा के और बढ़ जायेंगे ! और एक बार उत्तर फिर ध्यान से सुनिए “ सरकार नहीं जानती ? अपने अपने क्षेत्र में कौन अच्छा काम कर रहा है ? अगर सरकार को लगता है मैं अच्छा काम कर रहा हूँ तो स्वयं मुझे प्रोत्साहन दे ! मैं अवार्ड के लिए झूठे फोटो नहीं खिचवा सकता , न किसी प्रधान के पास योग्यता प्रमाणपत्र देने की प्रार्थना कर सकता हूँ ! जो अवार्ड माँगना पड़े , मुझे ऐसा अवार्ड नहीं चाहिए ! मेरे लिए जो बच्चे अपने अपने क्षेत्र में सफल होते हैं वही अवार्ड है ! “ कहने के लिए बहुत सी बातें हैं पर आपका समय अत्यंत बहुमूल्य है , मैं व्यर्थ की पिता श्लाघा नहीं करना चाहता !!
हाँ अगर आपको लगे जो मैंने लिखा वो अनर्गल है , समाज के किसी मतलब का नहीं , तो आप मेरी निंदा करने के लिए स्वतंत्र हैं !! परन्तु मैं तो उन सभी लोगों को श्रधांजलि देता हूँ जो अपने अपने क्षेत्र में पूर्ण समर्पित थे और जिनको श्रधांजलि देने भी कोई नहीं आता !! धन्यवाद् !!
Kahte hain n, koi vyakti Mahan bade kamon se nahin, balki choti-choti baaton se hi banta hai. Aapke Pita aise hi Mahan Insaan the. Unhe meri or se bhi Shraddhanjali.
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