सूरज निकल भी आये पश्चिम से , पर झूठ मुझे है रास नहीं !
समझो तो इशारा काफी है , पर्वत का गिराना ठीक नहीं !
अड़चन है हमारे मिलने में , दुश्मन है ज़माना सारा यहाँ !!
आया तो पकड़ में था चाँद मेरे , पर पलक झपकते फिसल गया !
सूरत जो तुम्हारी दिखती है , सब उल्टा पुल्टा होता है !!
समझो तो इशारा काफी है , पर्वत का गिराना ठीक नहीं !
अड़चन है हमारे मिलने में , दुश्मन है ज़माना सारा यहाँ !!
आया तो पकड़ में था चाँद मेरे , पर पलक झपकते फिसल गया !
सूरत जो तुम्हारी दिखती है , सब उल्टा पुल्टा होता है !!
पपीहा न बोल , न बोल , जियरा जले मोरा , पीहू , पीहू !
कोयलिया न बोल न बोल , हियरा धडके मोरा , कुहू , कुहू !!
घन गर्जत बरजोर , डरावे बिजुरी , तड़ तड़ , तड़ तड़ !
बरसे घटा घनघोर , चहुँ ओर , झरावे , झर झर , झर , झर !!
चिढावे नकटी पड़ोसन , दिखावे नखरे , बन ठन , बन ठन !
पियरवा काहे बसो परदेस , ज़रा सा , हम भी रहते तन तन !!
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