Wednesday, 16 November 2011


  • खुदा  का  कहर  बरपा  तो  यूँ  बरपा  , मेरी  उनसे  दोस्ती  हो  गयी  !

  • वो  मेरे  करीबतर  आये  ,और  खुदा  ख्वाबों  से  भी  गया  !!


  • समय के  धारे  ,धारे  चला  मैं  तुझको  खोजता  !

  • परिचित  सब  मिले  और  तू  मिला  रूठा  हुआ  !!


  • नायक  मेरे  तुम   हो  , और  तुम  हो  खिवईया  !

  • पार  उतरूंगा  ,उतारो  तुम  जगत  के  रचईया  !!

  • मेरा  क्षण  क्षण  तुम्हारे  रूप  को  घट में  उतारे  !

  • और  तुम  हो  बनते  नहीं  कूची  भी  हारे  !!

  • इस  हार  को  तुम  हरो  , मैं  हारता  हूँ  !

  • अब  तेरी  हो  हार  , या  हो  जीत  ,मैं  तो  हारता  हूँ  !!


  • अक्षर  भी  तेरे  , शब्द  तेरे  , वाक्य भी  तेरे  ,

  • मैं  जो  बोलता  , तेरी  ही  बाणी , तेरी  कृपा  से  बोलता  हूँ  !

  • मेरी  वाणी  से  , जो  भी  उचरे , अर्थ  उनको  देना  सही  तू  ,

  • और  समझना  स्तुति  मैं  तेरी  कर  रहा  हूँ  !!


  • मैं  था  भीड़  में  खोया  जय , अच्छा  हुआ  दोस्त  दगाबाज़  निकले  !

  • मुझे  थोडा  सूनापन  मिला  ,और  खुद  से  जान  पहचान  हुयी  !!

    हाँ  तो  मैंने  किया  पसंद  तुम्हें  , तेरी  यादों  से  मुलाक़ात  हुई  !
    सारे  शिकवे  औ  गिले  , धुल  गए  ख्वाब  में  मेरे ,
    तेरी  शबनम  से  भरी  आँखों  से  जब  मुलाक़ात  हुई  !
    मैं  तो  गया  हर  तरफ  , इस  अंदाज़  में  के  होगी  मुलाक़ात  ,
    बंद  की  आँख  तो  तुझे  दिल  में  बैठा  पाया  !
    हाँ  तो  मैंने  किया  पसंद  तुम्हें  , तेरी  यादों  से  मुलाक़ात  हुयी  !!






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