जय पलासणियां
Wednesday, 30 November 2011
चलूँ अब चलूँ रात काफी हुई , तुम परेशां न हो , बस आखरी है ये जाम ,
जितनी रातें कटी सब ,तेरी याद में , घोल दे जाम में , रात कट जायेगी !!
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