पर खामोशियाँ घायल जयादा करें !!
मेरी यादों को तेरी यादों का सहारा हो , दहाड़ते समंदर को चट्टान सा किनारा हो ,
तो बच जायेगी ज़मीं लगता है , कट जायेंगी लहरें , जीवन की नैया से लगता है !
और दूर खड़ी आशा जो डरती है निराशा से , पास आयेगी ठुमक के लगता है ,
तुम ढहती दीवारों को सहारा दो , माँ के आँचल सा , ठंडा ठंडा सा , साया दो !
तैरते हैं शाम के झुरमुट में , भूत पिशाचों के , मन से उपजते , कल्पित आकार,
मेरे साथ आओ , हमेशा की तरह , करो लम्बी बातें , डूबते सूरज को उजियारा दो !
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