Wednesday, 23 November 2011


  • मौला  तेरे  खिदमतगार  तड़पते  हैं  क्यों  ,और  गुनाहगार  घूमते  धड़ल्ले  से  क्यों  ?

  • सज़ा  दे  या  इनाम  , तुरत  दे  न  , पता  तो  चले  हिसाब  होता  है  !!


  • कसम  से  कुछ  पूछना  मत  , क्यों  लौट  वापिस  ज़न्नत  से  आया  मैं  ?

  • सिर्फ  इतना  जान  लो  , यादें  तेरी  बस  खींच  लायीं  हैं  !!

  • खुदा  भी  हैरान  था  , कमी  क्या  रह  गयी  बाक़ी  ,

  • उसे  भी  न  पूछने  की  कसम  , मैं  दे  के  लौट  आया  हूँ  !!


  • यूँ  पूछना  , क्या  करते  हो  मुझसे  प्यार  ?

  • लगता  तो  बेमानी  है  , पर  कुछ  मायने  तो  दे दो  यार  !!


  • जानता  हूँ  , हाँ  की  हाँ  में  हाँ  रही  हर  बार  ,

  • पर  लब  खोल  दो  , कुछ  बोल  दो  , दुश्वारी  है  क्या  कुछ  यार  ?


  • छोड़  तो  आया  हूँ  अपने  निशाँ  , पर  देखता  हूँ  हसरत  भी  है  ?

  • चाहता  हूँ  मुझसे  मिलें  वो  , पर  फैसला  दिल  से  तो  हो  !!


  • वो  आज  फिर  गया  कश्ती  में  निकल  तूफानों  में  ,

  • लो  आज  फिर  लगी  किस्मत  की  बाज़ी  आँधियों  में  ,

  • देखते  हैं  समंदर  खजाने  ,भर  के  देता  है  ?

  • या  फिर  मल्लाह  बाज़ी  जान  की  अब  हार  जाता  है  ?


  • शायद  मेरी  किस्मत , बुझे  तारों  का  मरघट  है  ,

  • आसमाँ जितने  मिले  सब , अँधेरा  लपेटे  थे  !

  • दोस्त  जितने  मिले  सब , फूलों  की  रंगत  लिए  थे  ,

  • लिपटे  बदन  से  जब , सांप  का  फन  समेटे  थे  !!


  • धुवां  उठता  घरौंदों  से  , किसी  ने  जला  डाले  अरमान  सारे  !

  • धोखा  हुआ  फिर  से  , रंगीन  सपनों  की  जलान्ध फैली  है  सारे  में  !!

    हमसे   न   बोलिए   , न   बोलिए    कोई   बात   नहीं   , 
    तारों   की    रात   से   क्यों ,   शिकायत   कर   दी  !!
    मैं   तो   आया   था   ,  चिरागों   को   लौ   लेने  ,
    तूने   रात   से   ,अंधेरों   की   शिकायत   कर   दी  !!
    मासूम   दिल   को  , राहत   की   चाहत   , न   सही  ,
    दूर   से   , जख्म   को   मरहम   तो   दिखाया   होता  !!
    मैं   चला   लौट   के ,  सावन   में   आऊँ   या   न   आऊँ  ,
    बरसों   बरस   ,  आग   में   जिया   था , सुना   तो   होता  !!  









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