धोखा हुआ फिर से , रंगीन सपनों की जलान्ध फैली है सारे में !!
हमसे न बोलिए , न बोलिए कोई बात नहीं ,
तारों की रात से क्यों , शिकायत कर दी !!
मैं तो आया था , चिरागों को लौ लेने ,
तूने रात से ,अंधेरों की शिकायत कर दी !!
मासूम दिल को , राहत की चाहत , न सही ,
दूर से , जख्म को मरहम तो दिखाया होता !!
मैं चला लौट के , सावन में आऊँ या न आऊँ ,
बरसों बरस , आग में जिया था , सुना तो होता !!
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