देखता हूँ बंद आँख से , जानता हूँ के नहीं !!
मैं तेरा हूँ रास्ता सदा , और तू है के हर बार बदलती है ,
है मंजिल से मेरी जान पहचान बहुत , पर ऐतबार कौन करे !!
तू बदले कई राहों को हर बार , पर मैं तेरे नसीब में हूँ ,
मैं खड़ा चौराहे पे , और हैरान हूँ , तू हर बार मुझे ही धुन में चुने !!
तेरी निगाहों से बचना मुश्किल , ये गलती क्यों हो जाती ,
शायद मंजूर है है उसको भी , दिन रात का मिलना शाम ढले !!
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