Friday, 18 November 2011


  • तेरा  नाम  , नाम  हो  साथ  , कहाँ  ऐसा  नसीब  है  !

  • तू  जन्म  , जन्म  दो  साथ  कहाँ  ऐसा  नसीब  है  !

  • अतः  जो  मिले  जब  मिले  , जब  मिले  जो  मिले  , मेरा  नसीब  है  !!


  • है  चाँद  की  आँख  में  पानी  सा  , पानी  भी  बर्फ  सा  जमा  हुआ  !

  • भला  हो  इस  इंसान  का  , भरी  महफ़िल  में  खोला  राज़  है   चाँद  क्या !!


  • मेरा  जाम उसने  बदल  दिया  , सोचा  इसमें  है  सुरूर  क्यों  ?

  • उसे  क्या  पता , वो  दिल  में  है  , जाम  तो बस नगमा  है  !!


  • तेरे  शहर  में  बन  अजनबी  , घूमना  गवारा  है  ,

  • जो  तेरा  नहीं  उस  शहर  में  शोहरतें  भी  बेकार  हैं  !!


  • मेरा  शहर  खुदाओं  का  शहर  है  , हर  शख्श   है  खुदा  यहाँ  !

  • और  खुदा  है  जो  वो  , दूर  दराज़  , नाखुदा  बन  है  हंस  रहा  !!


  • गुलों  से  पूछो  खिल  के  वो  , हैं  कितने  कितने  हैरान  सब  ,

  • भंवरे  बन  मंडराते  सब  , और  माली  तो  नादान  है  !!


  • तुम्हें  देखा  है  कहीं  बंद  पल्कों में  ,

  • हलकी  धुंधली  सी  याद   है  आती  !

  • खुली  आँख  तुझको  पहचानना  हुआ  मुश्किल  ,

  • देखता   हूँ  बंद  आँख  से  , जानता  हूँ  के  नहीं  !!

    मैं  तेरा  हूँ  रास्ता  सदा  , और  तू  है  के  हर  बार  बदलती  है ,
    है  मंजिल  से  मेरी  जान  पहचान  बहुत ,  पर  ऐतबार कौन  करे !!
    तू  बदले कई  राहों  को  हर  बार ,  पर  मैं  तेरे  नसीब  में  हूँ  ,
    मैं  खड़ा  चौराहे  पे  , और  हैरान हूँ  , तू  हर  बार  मुझे ही  धुन में  चुने !!
    तेरी  निगाहों  से  बचना  मुश्किल  ,  ये  गलती  क्यों  हो  जाती ,
    शायद  मंजूर  है  है  उसको  भी  ,  दिन  रात  का  मिलना  शाम  ढले  !!






  • मान  जा ,  मान  भी  जा , तेरी  सर  ज़मीं  हूँ  मैं  ,
    यूँ   अकड़ाहट  में  जियेंगे , तो  सब  बिखर  जायेगा !
    मैं  मानता  हूँ , नहीं  मैं  हर  फ़न  का  मालिक  ,
    जो  भी  हूँ  ,  जानोगे  तो  ,  वक्त  गुज़र  जाएगा  !
    सुनता  तो  हूँ  हर  बात  , तेरी  ध्यान  से  लेकिन ,
    क्या  जानता  था  वक्त  का  तक़ाज़ा ,मजबूर   करेगा !
    यूँ  तो  कोई  शहर  नहीं  मेरा   अपना   लेकिन  ,
    साथ  तुम  दो  तो  ,  मेरा  उजड़ा  शहर  बस  जाएगा  !!


    चंद  लकीरों  को  मैं  समझा  मेरी  तक़दीर  हैं  ये ,
    सब  काम   छोड़  ,  बंद  मुट्ठी   लिए  तेरा   इंतज़ार  किया !
    मेरी  तक़दीर  बतायी  हाथों  में  मालिक  ने  ,
    मैं  इशारा  न  समझ  ,  मेहनत  से  हटा  ,  ज्योतिष  से  मिला !
    ज्योतिष  भी  सही  हो ज़मानें  में  क्या  मालूम ,
    पर  मेरा  फर्ज  है  क्या  ,  उसको  समझ  , ज़न्नत  से  हाथ  मिला  !!

        


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