Monday, 28 November 2011

रेत  उड़ा  रही  हैं  हवाएं , आँधियों  का  सजना  बाकी  है ,
पेड़ों  ने  तो , मरुथल से , पहले से वाकाउट  किया  हुआ  है ,
पानियों  का  निशाँ  कहीं  है  ही  नहीं , बारात सजी  अच्छी  है ,
ऊंट सेहरा  सजाये ,  तैयार  खड़ा  मैदान  में , बवंडर  तैयार  है ,
कालबेलिओं  ने  गिद्धों  को  न्योता  दिया हुआ  है , आजा !
आजा  भई  मेरे  शेर  पुत्तर  ,  चलो  वोट  मांग  आयें ,
फिर  एक  बार  जनता  की  आँखों  में  धूल  झोंक  आयें ,
जनता  क्या  कर  सकती  है  ,  हमारे  पास हर  बहाना  तैयार  है ,
मास्टर प्लान  बन  गया  हैं ,  मार्केटिंग  हमें  आती  है  ,
डर कहे  का  ? जो  विरोध  में  खड़ा  होगा  ,  उसी  को  फंसा  देंगे ,
आज  भारत  में  दस  ईमानदार  भी  शोकेश  में  नहीं  बचे  ,
जो  आगे  आएगा  उसी  की  फ़ाइल  खुलवा  देंगे ,
बाकियों  की  कोई  चिंता  नहीं ,  उन्हें  भी  थोड़ा  खा  लेना  दो ,
ज्यादा  खायेगा  तो  अपना  हिस्सा  भी  पहुँच  जाएगा ,
हम  सब  चोर  चोर मौसेरे  भाई  हैं ,  जनता  के  पास  विकल्प
तो  कोई  नहीं , यूँ  ही  चिल्लाती है  ,  जो  जीतेगा  उसी  से  गठबंधन !
क्यों  ठीक  है  न  ?  अबे  चल , दुल्हन  जीत  इंतज़ार  में  है ,  थक  जायेगी !!

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