तू करेगा कमाल नए नए , और बरसेंगी मुबारकबादियाँ !!
मेरी मजबूरियों को समझ लेना , मैं यूँ ही नहीं हैराँ ,
कुछ कुछ तो ज़माना भी , चाहेगा ना सनम मेरे !
तेरी कीमत तो हमेशा , मेरी जान से ज़्यादा है ,
तेरे कारण हूँ मैं , मेरी दुनिया की मालिक हो तुम !
पर तेरे ही कारण को , दुनिया को अता करदूं ,
दुनिया के जो कर्जे हैं , और हमको चुकानें हैं !!
तुमको अगर चाहिए , मेरी वफ़ा का सबूत ,
मैं दुनिया को दिखाने को हनुमान ना बनूँगा !
मेरे दिल में , तेरी है , कीमत क्या क्या और क्यों ,
जीवन कोई बाज़ार नहीं है , कि नुमाईश लगादूं !!
तू चाहे अगर मुझसे , मैं जान भी दे दूँ ,
पर जान से कम में क्या , काम ना चलेगा ?
जान मेरी के तो , दुश्मन भी हैं ग्राहक ,
शामिल है क्या तू भी उनके हुज़ूम में ?
दुनिया मेरे ख्वाबों की , तूने बसाई है , वर्ना यहाँ सब कुछ सुनसान ही सुनसान है ,
घबरा के बहक जाता , और रातों को रोता मैं , पर तूने कितनी तकलीफें उठायी हैं !!
देती मुझे सब कुछ ये ज़मीं , मेरी माँ है ,
और रोता हूँ अम्बर को , न्याय कहाँ है !
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