Wednesday, 30 November 2011


जाम  भर   भर   के   देता   है   साक़ी   बना   ,  आज   नीयत   में   उसकी   कोई   खोट   है  ,
या   तो  दुश्मन   का   साया   है   उसके   साथ  ,  या   तो   बहला   के   जानेगा   राज़  मेरे  !
पर   मैं   ही   कहाँ   हूँ   अपना   यार   ,  कफ़न   बाँध   दुनियाँ  का   नज़ारा   करूँ,
मेरी   रंगीनियाँ   मेरी   दुश्मन   नहीं  ,  पर खामोशियों   से   हैं   डरते   कई   !
बंद   मुट्ठी   न   खुल   जाए   मेरी   कहीं   , दुश्मनों   की   हैं   रातों   की   नींदें   हराम ,
और   मैं   हूँ   इन   सब   साजिशों   से   परे  ,  मरूँगा   भी   तो   जुबां   चुग्लेगी   नहीं  !
यार   तो   मेरे   कोई   संग   चलते   नहीं   ,  दुश्मनों   से   दुश्मनायी   का   अहसास   है  ,
पर   दुश्मनों   से   भी   सीधे   ही   लड़ता   हूँ   मैं  , पीठ   पीछे   छुरा   घोंपता   मैं  नहीं  !!

  • डाली  समझती  है  झुका  क्यों  जाता  है  ,

  • फलों  का  बोझ  ज़्यादा हो  तो  दे  के  उतरता  है  ,

  • और  हम  झुकते  हैं  लेने  के  लिए  , देते  हुए  हम  और  अकड़ते  हैं  !

  • डाली  देके  अकड़ती  है  और  हम  लेके  अकड़ते  हैं  ,

  •  हैं  न  हम  इंसान  , सारी दुनियाँ  से  महान  !!


  • मुझसे  चाहिए  क्या  ज़माने  को  ? जो  देता  है  खुदा  देता  है  !

  • मैं  काम  भी  किसी  के  आता  हूँ  , तो  मुझपे  वो  मेहरबान  ज़्यादा  है  !

  • मेरी  मिटटी  भी  उसकी  है  , तेरी  मिटटी  भी  उसकी  है  ,

  • जान  देता  है  वो  मिटटी  को  , और  सलाम  आपस  में  हम  करते  हैं  !!

    श्री राधे  श्री राधे ,  राधे  राधे बोल , जग  में  खुल  जाएँ अगर  तेरे  मेरे पोल ,
    जग  बाहर  ज़ाहिर  जो  मेरे तेरे  चेहरे  हैं ,  सब  झूठे  हैं , पहने  हैं  हम खोल !
    बतलाते  दुनियां  को   हम  हैं  , प्यारी  सच्ची  बातें , और  खूब  बजाते  ढोल ,
    पैदा हों ईमानदार ,  क्रान्तिकारी  हो  जाए  दुनियाँ , पर  मेरे  घर ? न  बोल !!

    सीधा  चलूँ  तो  जले  ज़माना ,  उल्टा  चलूँ  तो  मैं  गिरता  हूँ  ,
    खड़ा रहूँ तो रह न सकूं मैं , दौडूँ  तो बिन कारण दौड़ाए ज़माना !!

    अजीब  सी  हवा भर गया  कोई  , गुब्बारा बना गया , कुप्पा  बना  गया ,
    मेरे  जैसा  नहीं  कोई  दूजा ,  सरे  बाज़ार  ,  हर  महफ़िल  में  सुना  गया !
    छाया  अजीब  सा  नशा ,  दिमागी  पतंग  चढ़ी  आसमान , सब  घुमा  गया ,
    दूर  अकेला  हसे  फिरंगी , पिन काफी मेरे  मरने को ,  बैरी को  बता  गया !! 


    है शाम  से  बात  मेरी  हुई  ,  अफ़साने  न  अब  वो  सुना  पाएगी ,
    न  दादी  न  दादा  ,न  नानी  न  नाना  बचे अब  माँ के  घर  में , 
    मौसी  बुआ रिश्ते  सभी  ,बिज़ी  हो गए हैं , और माँ बाप को अब फुर्सत ?
    अरे  तौबा  तौबा , किस  बला का  ये  नाम  ले  दिया  है , अरे मेरी तौबा !
    कहा  मैंने  जाओ  नहीं  रोक  सकता ,  झूठे  दिलासे  मैं  देता  नहीं  हूँ ,पर ,
    सुधरें  अगर  हालात  घर  के ,  कल  को , लोरी  मुझे  इक  ज़रूर  सुना  देना !! 
     






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