आइना सच तो बोले है ,पर बोले है कुछ घुमा फिरा करके !
दायें को बायाँ , और बायें को दायाँ बताता है , पूछा क्यों ?
तो बोला यूँ , क्या मुझको तोड़ोगे ? बताऊँ अगर सच पूरा ?
नहीं ! मैं बोला जब , बोला , पत्रकार हूँ , मुझको भी तो घर चाहिए !!
सदा जीता जो सिकंदर हुआ , हारने वाला चाहे सच्चा था ,
क्योंकि शेष जो जीवन रहा , आत्मसमर्पण ही नाम था उसका !!
जुगनुओं को साथ ले के चल , सिखायेंगे वो रौशनी का हुनर ,
कुछ आग तो दिल में रख , तुझको जहां से अँधेरा हटाना है !!
जब जड़ भी जीवन का दाता है , और सब यहीं से आता है ,
तो तुम क्यों कंजूस कहाते हो , माया नहीं तो मन ही दे दो !!
बादल बहुत दिन हुए नहीं आया , न आया उनका कोई सन्देश !
खाली अम्बर से बिजली गिरती है , है किसी किसी को ये मालूम !!है दिल तुम्हारे सीने में तो दर्द बाँट ले , माँ को दे रहे ज़ख्म नित नए , कुछ कुपूत हैं !
उठा रहे हैं भद्दी नज़र , पड़ोसी घायल जान , ताल ठोंक , घोषित करो अभी जिंदा सुपूत हैं !!
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