Wednesday, 9 November 2011

बदली  से  डरते   सब कर्मचारी  बेचारे  ,  सामान  का  मिलता  जबकि  ,  भाड़ा  किराया  ,
और  जानों   की  बदली  में  ,  तन  भी  जो  हासिल  है  छूटे  है  ,  और  जले  दूजों  के  सहारे  !!

शायद  शहीद  हो  , मेरा  दिल  ,  भी  किसी  के  कब्जे  में  है  ,
और  मैं  हूँ  के  विरोध  कुछ  ,  करता  नहीं  !!

कृतज्ञता  , कृतघ्नता  में  बदलेगी  , था  नहीं  मालूम  ?
गुरु   शिष्य  देखे  थे  मैंने  ऐसे  ऐसे  की  ,  जान  हो  उनपे  फ़िदा !!

यार  सर्जन  मिला  दे  कोई  ऐसा  , 
जो   या  तो  दर्द  को ,  दिल  से  निकाल  फैंके ,
या  हमदम  फिर मेरा  बनादे !


चन्द  लफ़्ज़ों  में  बात  करदूं  ? मुझे  पसंद  हो  ज़माने  में  सिर्फ  तुम  !!

जा  रहा  हूँ  तेरे  लिए  शबनम  बटोरने  , 
पल  भर  को  मेरा  इंतज़ार  करना  !!

कोयल  बुला  रही  है  मुझे  मीठी आवाज़  में  , 
देखूं  तो  क्या  क्या  संदेशे  हैं  प्यार  के  !!


ज़रा  सुनिए  तो  कह  रहा  है  तीतर  काला  पहाड़ी  पर क्या  क्या  ?
ये  मेरी  टिकरी  ,
आजा  मेरी  तीतरी  ,
और  ये  सुन  तीतर  ,  दूसरे  तीतर  को  शिकारी  के  इरादे  बता  रहा  है क्या ?
लूण  पियूं  कि  पिपली  ? (  नमक  पीसूं  या  पीपली  ,  यानि  , मिर्च  )
तवा  चढ़ाऊं  कि  ठीकरी  ?
आजा  मेरी  तीतरी ,
पेट  में  डालूँ भीतरी !!

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