Monday, 28 November 2011

गज़ब  है  आज  वादे  के  मुताबिक़  आये  हैं  वो ,
देख  ले , कुछ  भूला  तो  नहीं ,  सब  ठीक  तो  है ?
ऐसा  तो  नहीं  देने  के  बजाये  लेना  हो  उसने ,
साहूकार  की  आमद  ठीक  नहीं  जच रही  है  !!





मेरी  दुनियाँ  में  अचानक  घटा अनहोना  है  कुछ ,  सर्दी  में  गर्म विस्फोट  हुआ ,
कान  गर्म , आँख  गर्म , नाक  गर्म ,  हाथ  गर्म , चेहरे  पे पसीना छलक आया  है ,
हाय ! कहीं  रिश्ता  मेरी  माँ  को कोई  भाया  तो  नहीं ?  क्यों  भूचाल  सा  आया  है ?
पहले  ही  सपनों  का  समंदर  बसता  दिल  में , क्यों  मेरी  नींद  का  दुश्मन आया  है !!

 

   

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