चलते रहिये कभी तैरिये कभी डूबिये , यादों का सागर , जीवन अथाह , मिलिए कभी , बिछुड़ते रहिये !
सूरज से सीधे आये तो धूप , छन के आये चाँद से तो चांदनी है !
रोशनी तो वही है जहां में , खुदा कह लो , भगवन कह लो या ईसा !!
खुली आँख से रात को सोता हूँ , जाम से उल्टे पीता हूँ !
जितने भी हैं उल्टे काम मेरे , उनके सहारे जीता हूँ !!
आ जाओ तो तुम मन के करीब , हाले दिल को जो तुमने सुनना है !
रास्ता तो यहीं से जाता है , घबराते हो क्यों इन गलियारों से !!
राम से है डरता रहीम कहाँ ? दोनों में है छनती गाढ़ी यहाँ !!
हालात बेहतर हों तो ,बुलाना मुझको , अब तो वैसे भी तुम मिलने से कतराओगे !
चाहो तो फिर भी , बुलाना मुझको , इक आवाज़ पे दौड़ा चला आऊँगा !!
मैं जड़ था , कोई फूल नहीं खिला ! तनाव ग्रस्त हुआ , तना बना , कोई फूल नहीं खिला !
सब भाव मिटा दिए , विभाजित हो गया , टहनियां बन गयीं , पत्तों में नई जान आई ,
पत्ते कलियों में बदल गए , मन खिल गया ,अब चारों तरफ फूल ही फूल खिल गए !
मैं मस्त हो गया ! नए नए मिलन किये , फल बना और फिर बीज बन गया ,
फिर धरती में चला गया , अब फिर जड़ हूँ !!
आज मैं चुप ! तो उन्हें खलने लगा !
मेरी बातों से तंग , को , मौन डसने लगा !
मेरी चुप से तूफ़ान न आये , इसका कोई ढंग निकलने लगा !!
बातों को मीठा करदे , बदला है मुझको लेना ! मारा था उसने खंज्जर , जहर बुझा , जहर बुझा !!
ये ज़रूरी तो नहीं ,चाँद ही मांगो तुम ? चांदनी तो मुमकिन है , मिल भी तुम्हें जाए !!
सादा से जो कपड़े हैं , फ़क़त इनपे न जाओ ! कस्तूरी सा महका हूँ , दिनभर के पसीने में !!
No comments:
Post a Comment