मेरा सपना रोज़ बिखरता है , सच के करीब हो तो तो कोई !
जाने बनते हैं किस के हाथों , मेरा सपना भी सच बनाये कोई !!
तेरी महफ़िल में मेरा यूँ आना , किसी स्वागत के काबिल था ही नहीं !
पर तेरी तहज़ीब तो समंदर है , खुले दिल से बिठाया , सर आँखों पर !!
जाम छलके हैं , और छलके हैं कुछ कायदे से ,
सब हैं मदहोश , और होश में भी हैं !!
तेरी यादों को किनारे रख आया , डूबता उनमें तो भीग ही जाता !!
मुझे कारवां मिलता है , मेरी मंजिल पर पहुँचने के बाद !
शायद ये सोच है के , मैं भी किसी कारवां का रहनुमाँ रहूँ !!
सदाबहार है संगीत , बांसुरी श्याम की मचाये शोर ,
वीणा सरस्वती की सजती है , डमरू शंकर का घोर ,
नारद बजाये इकतारा , और मैं बजाऊं मन की डोर !!
जाने बनते हैं किस के हाथों , मेरा सपना भी सच बनाये कोई !!
तेरी महफ़िल में मेरा यूँ आना , किसी स्वागत के काबिल था ही नहीं !
पर तेरी तहज़ीब तो समंदर है , खुले दिल से बिठाया , सर आँखों पर !!
जाम छलके हैं , और छलके हैं कुछ कायदे से ,
सब हैं मदहोश , और होश में भी हैं !!
तेरी यादों को किनारे रख आया , डूबता उनमें तो भीग ही जाता !!
मुझे कारवां मिलता है , मेरी मंजिल पर पहुँचने के बाद !
शायद ये सोच है के , मैं भी किसी कारवां का रहनुमाँ रहूँ !!
सदाबहार है संगीत , बांसुरी श्याम की मचाये शोर ,
वीणा सरस्वती की सजती है , डमरू शंकर का घोर ,
नारद बजाये इकतारा , और मैं बजाऊं मन की डोर !!
No comments:
Post a Comment