खुद ही हंस लीजे और खुद ही रो लीजे ,
ये चीड़ का जंगल है जो मस्त है अपने मैं !!
चीड़ का जंगल , रहे सब्ज सदा ही ,
मौसम सब झेले वो , वक्त के रेले भी ,
है मस्त सदा से और मस्त रहेगा ,
सब हरता है रोग , चाहे जान भी ले ले कोई !!
ये चीड़ का जंगल है जो मस्त है अपने मैं !!
चीड़ का जंगल , रहे सब्ज सदा ही ,
मौसम सब झेले वो , वक्त के रेले भी ,
है मस्त सदा से और मस्त रहेगा ,
सब हरता है रोग , चाहे जान भी ले ले कोई !!
No comments:
Post a Comment