तेरे नाम से आया समझानें मुझे कोई , और मैं समझ गया मैं हलाल हुआ ,
वो जानता था तेरे मायने क्या हैं , और मैं जानता था उसके मायने क्या हैं !!
समझ का हेर फेर बड़ी देर में समझ आया , और तब तक इतिहास रचा जा चुका था ,
सारी बहियाँ लिखी जा चुकी थीं , सारा न्याय हो चुका था , और मैं तेरा हो चुका था !!
मंजिल की तमन्ना लिए फिरता रहा मैं दर बदर ,
और मंजिल साया बन आवाज़ देती ढूंढती रही !
सुना करो आवाज़ मेरी भी , दिल हूँ तुम्हारा , नादान हूं , पर गैर नहीं !
और उनसे तुम करलो किनारा , जो गैर भी हैं और नादान भी नहीं !!
वो जानता था तेरे मायने क्या हैं , और मैं जानता था उसके मायने क्या हैं !!
समझ का हेर फेर बड़ी देर में समझ आया , और तब तक इतिहास रचा जा चुका था ,
सारी बहियाँ लिखी जा चुकी थीं , सारा न्याय हो चुका था , और मैं तेरा हो चुका था !!
मंजिल की तमन्ना लिए फिरता रहा मैं दर बदर ,
और मंजिल साया बन आवाज़ देती ढूंढती रही !
सुना करो आवाज़ मेरी भी , दिल हूँ तुम्हारा , नादान हूं , पर गैर नहीं !
और उनसे तुम करलो किनारा , जो गैर भी हैं और नादान भी नहीं !!
मेरे साथ चले चलते हो तुम , समझा नहीं कौन हो तुम ?
इक वक्त का साया , दो वक्त की रोटी , ज़मीं पांवों की ,
और छतरी आसमान की , साथ चलें हैं जनम से हम तुम !!
इक वक्त का साया , दो वक्त की रोटी , ज़मीं पांवों की ,
और छतरी आसमान की , साथ चलें हैं जनम से हम तुम !!
तेरा जाम बनाया मैंने , आम नहीं है ,
तेरे दिए सब गम डाले हैं ,
तड़पा जो मैं खुशबू उसकी ,
रंग लहू का कतरा कतरा ,
पर आशीस वही है , जियो हज़ारों साल ,
साल के दिन हो पचास हज़ार !!
तेरे दिए सब गम डाले हैं ,
तड़पा जो मैं खुशबू उसकी ,
रंग लहू का कतरा कतरा ,
पर आशीस वही है , जियो हज़ारों साल ,
साल के दिन हो पचास हज़ार !!
तेरे दिए ज़ख्मों के बदले , तेरे जख्म सँवारे , मरहम से सदा !
ताउम्र तेरी तारीफ़ भी की , और तू समझा तेरा यार हूँ मैं !!
ताउम्र तेरी तारीफ़ भी की , और तू समझा तेरा यार हूँ मैं !!
जो शाम तेरे घर बीती थी , जो घड़ी तेरे संग रीती थी ,
वो आज भी नगमा बन के मेरे , मेरी तन्हाई को जीती है !!
वो आज भी नगमा बन के मेरे , मेरी तन्हाई को जीती है !!
मेरा शहर काली दीवार बना , धुवें का समंदर पीता है ,
सीमेंट चला अब देश विदेश , सड़कों पे वाहनों का फीता है !!
सीमेंट चला अब देश विदेश , सड़कों पे वाहनों का फीता है !!
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