हमीं को चाहिए हमसे तसल्लियाँ , ऐतबार जो टूटा हर बार ,
खुद से वादे किये , खुद तोड़े , रोये खुद जार जार , बार बार !!
सुधरती नहीं आदत मेरी , क्यों करे कोई ऐतबार ,
दिखता है उनको भी , हूँ मैं कितना एक शर्मशार !!
गुज़र भी जाईये क्यों खड़े , ठिठके हुए राहों में ,
मेरा सामना तो कई बार हुआ है अनजानों से !
जानने , पहचानने , और वरने का वादा कर ,
दे गए दाग मेरे सीने पर , टैटू से , हमेशा के लिए !
मेरा तन और मन अब भर गया है , शेष नहीं कुछ ,
यूँ झूठी तसल्ली बन , राह ना रोको , हटो जाने दो !!
जान कर भी अनजान बनूँ , देखिये मेरी नादानियों का अंदाज़ है क्या !!
कबाड़ियों के महल्ले की रौनक देखिये ,
सब नए सामान मिलेंगे , तेरे मेरे घर के ,
और चौकीदार बना बैठा है वर्दीवाला !!
तेरी भी क्या जान पहचान हुई , भूख से साजन मेरे ?
समाज के सब असूल , फ़ानी थे ,टूट गए धीरे धीरे !!
दोष मैं देता रहा सदा उनको , जो दोषी न थे ,
और इनाम दिए उनको , जो मेरे जयकारी थे !!
जंगल में जाने क्यों चुनता रहा मैं बुरांश के फूल ,
और फूल थे बचपन के जो , गली बाज़ारों में , सब सूख गए !!
जितने थे ज़रूरतमंद शहर में मेरे ,
सब चोर बना , सेठ बनाये , कबाड़ियों ने !!
खुद से वादे किये , खुद तोड़े , रोये खुद जार जार , बार बार !!
सुधरती नहीं आदत मेरी , क्यों करे कोई ऐतबार ,
दिखता है उनको भी , हूँ मैं कितना एक शर्मशार !!
गुज़र भी जाईये क्यों खड़े , ठिठके हुए राहों में ,
मेरा सामना तो कई बार हुआ है अनजानों से !
जानने , पहचानने , और वरने का वादा कर ,
दे गए दाग मेरे सीने पर , टैटू से , हमेशा के लिए !
मेरा तन और मन अब भर गया है , शेष नहीं कुछ ,
यूँ झूठी तसल्ली बन , राह ना रोको , हटो जाने दो !!
जान कर भी अनजान बनूँ , देखिये मेरी नादानियों का अंदाज़ है क्या !!
कबाड़ियों के महल्ले की रौनक देखिये ,
सब नए सामान मिलेंगे , तेरे मेरे घर के ,
और चौकीदार बना बैठा है वर्दीवाला !!
तेरी भी क्या जान पहचान हुई , भूख से साजन मेरे ?
समाज के सब असूल , फ़ानी थे ,टूट गए धीरे धीरे !!
दोष मैं देता रहा सदा उनको , जो दोषी न थे ,
और इनाम दिए उनको , जो मेरे जयकारी थे !!
जंगल में जाने क्यों चुनता रहा मैं बुरांश के फूल ,
और फूल थे बचपन के जो , गली बाज़ारों में , सब सूख गए !!
जितने थे ज़रूरतमंद शहर में मेरे ,
सब चोर बना , सेठ बनाये , कबाड़ियों ने !!
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