Monday, 28 November 2011

शेर  से  पूछो  के  तन्हाई  क्या  है  , लोग  डरते  हैं  लाइक करने  से  !
सोचते  हैं  जुड़ेंगे  तो  खा  जाएगा  , मांसाहारी  है  न  !
पर  मांसाहारी  तो  बहुत  हैं  ? ओहो  ताकतवर  है  न  !
पर  शेर  शौक  के  लिए  तो  शिकार  नहीं  करता  ? भूख  लगती  है  तभी  खाता  है  !
बस  यहीं  तो  मात  खाते  हो  और  तन्हा  रह  जाते  हो  !
इंसानों  की  तरह  बिना  कारन  मारो  न  !
सब  याद  करेंगे  और  नवाज़ेंगे  अलग  से  ,पालतू  बन  जाते  हैं  न  !!
अलविदा से  पह्ले सोचियेगा  ज़रूर ,  सुनाने  को  कुछ  बचा  तो  नहीं  ?  वो  भी  सुन  लूँगा !
हसरत  बाकी  रहेगी  दिल  में  तो  परेशानियाँ होंगी , फिर  आना  पड़ेगा  तसल्लियों  के  लिए !!
ज़मानतें  काफी  हैं  मेरी  ,  या कोई  और  भी  चाहिए ?
मेरा  तो  नहीं  ,पर  तेरा  तो  होगा  कोई  चाहने  वाला ?


सुरूर  तो  काफी  है  , चल , पाँव  उठ  रहे  हैं  ,  नाचने के  लिए ,
यार  न  सही  ,  किसी  और  की  बारात  में  आज नाच  आते  हैं !
हॉस्टल में फिर  वही रूटीन का  खाना  है , खाना  भी  खा  के  आयेंगे ,
चलती  तो  होंगी  कुछ फुलझड़ियाँ  भी , और पटाखे भी  देख  आयेंगे !!  

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