मर जाऊं ख़ुशी से ना अब , ज़रा आगोश में लो !!
गरम गरम छाए की चुस्कियों में , चीनी महंगी है बोल न तू !
यहाँ सस्ता बिकता सिर्फ ज़मीर है , महंगे सौदे हैं बाक़ी सब !!
साथी मेरे समाज के , समाज के सब्र का इम्तहान लेते हैं ,
और प्रश्न करे समाज जब , उसकी आवाज़ से डर जाते हैं !!
कहते हैं गलत हुआ , गलत हुआ , गलत हुआ ,गीदड़ की भाषा में ,
और समाज के इस प्रश्न का , गला दबाने को ,उमड़ उमड़ आते हैं !!
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