Saturday, 26 November 2011

मेहमान  समझ  आईयेगा  तो  मेहमान  समझ  जाईयेगा  भी  ,
मेरे  सब्र  का  इम्तिहान  न  लेना  ,  मेरे  मासु  नासु  मामू  जान !
इन  इम्तिहानों  से  मैं ,  डरता  हूँ  दसवीं  भी  नहीं  पास  हुआ ,
पर  बलाओं  से  छुटकारा  पाने  की साजिश  में  मुझे डाक्टर जान !!



घेर  चली  मुझको  आशा   निराशा की  लड़ी ,  इक  पल  को  उबरता  हूँ ,  डूबता  हूँ  दूसरे  पल !
ये मोती  है  गोल  मटोल  ,  लुढ़कता ही  रहता  है  ,  थकता  नहीं  ,  और  मैं यकदम  थक  जाता  हूँ !!
है  मुझको  भी  पता  विपदा  तो  आनी  जानी  है , रुकता  है  कहीं  मन ? दिल  तो  धड़कता  जाता  है !
पर  सोचता  हूँ  वक्त  अगर  ठहर  जाता ,  और  चुनना होता , तो  निराशा  को  निराश  ही  लौटा  देता ?





कुछ  तो  परदे  में  रहने  दो ,  खुल  ही  गए  हैं तो  क्या  तौबा  करलूं ,
वाजिब  है  प्यार  तुम्हारा , पर  चर्चे  दुनियाँ  जहाँ  में  हों  ज़रूरी  है  ?



जाम  पे  नाम  लिखोगे  ?  क्या  फायदा  ?  जिस  से  भी  पियूँगा ,  मेरा  होगा !
जाम  में  जो  डालोगे  ,  हलक  में  उतरेगी  ज़रूर , पर  ज़हन  में  नशा  तेरा  होगा !! 



ज़न्नत  में  भी  नाम  तेरा  चलता  होगा  , ये  जान  तसल्ली  हुयी ,
मेरा  जाना  जहन्नुम  में  पक्का  है ,  इस  ज्ञान  से  खिलीं  बांछें  मेरी !! 



तू  बावस्ता  है  मेरी  तकलीफ  से  इससे  फायदा  क्या ,
तू  तो  ज़ख्म  कुरेदेगा  और  तड्पाएगा  मज़ा  ले लेके !



हिचकी तेरी  खतरे  से  खाली  नहीं  है , मरते  हैं  जितने  भी  गरीब , नाम  हैं  तेरे ,
जो  करे  याद  और  हिचकाये  तुझे , मौत  तो  आनी  है  उसे  और  मर  के  रहेगा !!



मैं  चला  जाऊं  कहीं , गम  नहीं , जाने  जहाँ , 
बस  इक  मेरी  याद  को  न  गुम  होने  देना !
मैं तो  मरता  ही  हूँ , इस  बार  भी  मर जाऊंगा , 
याद  रह  जायेगी  तो  नाम  भी  रह  जाएगा !
है  ये  भी  ज़रूरी  नहीं , इच्छा  पर  मयस्सर है ,
ज़ज्बात  हैं  मेरे , न कहूँ तो  मर  भी न पाउँगा !!





मैं  घबरा  गया  वक्त  को  तन्हा  देखा , और  तन्हाई  का  आलम क्या ? जानता  हूँ  मैं !
सोचा  वक्त  को  शायरी  दूं  , या  गीत  कोई  ,  या  रौनक  दूं  ? तन्हाई  ही  अच्छी  है उसने  कहा !!
यूँ  ही  बर्बाद  करोगे ,  बन  कुछ  न  सकेगा , शब्दों  को  तोड़ोगे  मरोड़ोगे , और  सुना  दोगे ?
थोड़ी  देर  बैठो  ज़रा , समझो  ज़रा , भोगो   ज़रा , तड़प  दिल  तक  आने  दो , फिर  सुन  लूँगा !!
अभी  तो  देख  रहा  हूँ  जहाँ  को , जहाँ  की  हरकत  को , हाल  देखा  तो  ठहर  थोड़ा  गया ,
पर  चलता  हूँ  महसूस  न  हो  ज़मानें   को , भूचाल  था  आया  बहला  देना , कह  के  रवाना हुआ !!

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