Saturday, 5 November 2011

देखे हैं  मैंने , तेरी  आँखों  में , कुछ अजीब  रंग , 
बुलाते  भी  हैं  कुछ पास , और  फिर  रोक  देते  हैं  !!   




समझता  हूँ  तेरी  हर  बात  , के  झल्ला  नहीं  हूँ  मैं  ?
पर  हर  बात  उजागर  हो  , ये  दस्तूर  है  क्या  ?



तहज़ीब  की  बात  है  , खंज्जर  भी  कभी  पानी  सा  लगे  , और  प्यार भी  कभी  , गाली  सा  लगे  !!

अभी  तो  आँखें  मुश्किल  से  दो  से  चार  हुयीं  ! और  दिल  था  मेरा  के  , ये  गया  और  वो  गया  !!

जब  भी  मैं  अकेला  , महसूस  करता  हूँ  ! मेरी  यादों  के  जंगल  में  अकेला  घूम  आता  हूँ  !!

हमें  तुम  रुलाओगे  यूं  बार  बार  ? सोचा  नहीं  था  ये  होता  है  प्यार  !!

आस्मां  आज  मेरी  मुट्ठी  में  है  , वो  भी  खाली  और  मेरे  हाथ  भी  खाली  हैं  सनम  !!

दोस्ती  क्या  है  तुम्हें  क्या  मालूम  , एक  अदद  ब्रूटस तो  कभी  साथ  में  रख  !!

कहाँ  तन्हाईओं  में  गुज़र  है  मेरा  ? कुछ  ख़ास  जो  गम  हैं  , पास  बुला  लेता  हूँ  मैं  !!

दर्द  के  मंज़र  से  गुज़रे  हैं  ,  कई  बार  , 
हर  बार  दर्द  पहले  से  ज़्यादा  महसूस  होता  है  !
लहर  आती  तो  है  किनारे  ,  कई  बार  ,
नज़ारा  हर  लहर  का  अलग  ,  महसूस होता  है  !
तुम  देखो  उलट  के  जब  भी  ,  हर  बार ,
तुम्हारा  चेहरा  हमेशा ,  कुछ अलग  महसूस  होता  है !
मेरी  चाहत  हमेशा  एक  सी रही  हर  बार  ,
अंदाज़  चाहत का  हमेशा  , कुछ अलग , महसूस  होता  है !!

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