Wednesday, 16 November 2011



  • उनसे  कहिये  कब  मिलेंगे  दो  जहां  , मैंने  तो  पलकें  बिछायी  पाँव  धरने  के  लिए  !



  • फाग  लायी  ,मेहंदी  लायी  , और  लायी  सुहाग   , कान्हां का  श्रृंगार  लायी  सजने  सँवारने  के  लिए  !!


  • जाम  तनहा  है  , मयखाना  तन्हा , चल  चलूँ  थोड़ी  सी  रौनक  कर  दूं  !


  • मेरा  मयखाना  है  वीराने  में  , दूर  बस्ती  से  बसाया  मैंने  ,


  • आते  हैं  सब  सलीके  से  ,और  सलीका  ही  यहाँ  पयमाना  है  !


  • सब  अकेले  ही  आते  यहाँ  , साथ  आता  तो  रब  भी  नहीं  ,


  • कतरा  कतरा  है  दर्द  अपना  बहता  , और  रात  , रात   भर  ठहरे  यहाँ  !


  • चार  पल  भी  गुज़र  न  हो  ,ऐसा  तो  शहर  नहीं  ये  ,


  • ये  मेरा  मौज -ए- सुखन  है  , दिल  भर  भर  के  रहूँ  मैं  यहाँ ! 


  • जाम  तन्हा  है  , मयखाना  तन्हा  , चल  चलूँ  थोड़ी  सी  रौनक  कर  दूं  !! ......


  • आज  मैं  हूँ  ख्यालों  में  खोया  हुआ   , तुम  गुज़रना नहीं  बेख्याली  में  दोस्त  ! 


  • मेरा  सामान  सब  है  बिखरा  हुआ  , कहीं  दिल  है  , कहीं  है  जिगर  का  धुवां  !


  • तू  गुज़रना  तो  हल्के  से  , हल्के  सनम  , पाँव  धरना  नहीं  वर्ना  मर  जाऊंगा  !


  • मेरी  मिटटी  से  बनना  संवरना  पड़े  ,तो  समझाना  दिल  को  मिटटी  है  सब  !


  • मेरी  मिटटी  तेरी  से  मिल  जायेगी  , और  धरा  ही  धरा  बस  रह  जायेगी  !!


  • मैं  अन्दर  तक  गया  , तड़पा  बहुत  , कुछ  न  मिला  , छटपटाया  पर  तू  कहीं  नज़र  नहीं  आया  ,


  • अबूझा  रहा  , मेरी  धडकनों  , मेरी  साँसों  का  चलन  ,कौन  कर  रहा  है  मन  का  संचालन  ,


  • मेरा  भी  तेरा  भी  , तेरा  भी  , और  इस  जगत  का  , कौन  है  अधिशाषी  , जानो  जो  तुम  मुझे  भी  बताना  !


  • मैं  साँसों  की  डोर  को  पकड़े रहूँगा  ,जीवन  के  छोर  को  जकड़े  रहूँगा  , पर  कोई  तो  बताये  ये  जला  है  क्या  ,


  • और  मकड़ी  जो  बैठी  , उसका  फैलाव क्या  , सबको  वो  घेरे  सदा  से  है  क्या  , ये  जाला  कटेगा  कब  और  क्यों  ,


  • बतादो  बतादो  , बतादो  कोई  , करता  सदा  से  तेरा  इंतज़ार  !!








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