Sunday, 13 November 2011


जलती  बुझती  सी  जुगनुओं  की  , टिमटिमाहट  के  सम्मोहन  में  , तलाशेगा  नए  घर  कोई  क्या  मालूम  !
मैं  तो  तन्हाईओं  में  , दिल  के  इकतारे  पे  , धुन  कोई  पुरानी  छेड़ा  चाहता  हूँ  !!

इश्क  में  किस  किस  की  ज़मानत  तू  देगा  जय ?
हर  नुक्कड़  पे  ,लैला  मजनू  को  ,औ  मजनू  लैला  को  बेच  आया  है  !!

मेरा  मंदिर  जाना  भी  गया  ! मेरा  स्कूल  का  जाना  भी  गया  !
इस  इश्क  निगोड़े  के  लिए  , घर  से  निकलना  भी  गया  !!

खोजना  उनको  था  मुश्किल  हुआ  , मेरे  अन्दर  के  अंधेरों  में  वो  , जा  छुपे  !!

आये  शबनम  ,शबनमी  सी  रात  में  , और  मैं  दोपहरी  में  खड़ा  चिंगारी  लिए  !!

उसने  देख  कर  भी  न   देखा  तुझे  , जान  ले  नज़रंदाज़  होना  चीज़ है  क्या  !
सीख  ले  सिखाये  जो  जो  किस्मत  तेरी  , सिखाएगा  जब  ज़माना  , काम  आयेगा  !!

मैं  सुनता  उनकी  भी , जो  मेरी  सुनते  नहीं  , उनके  बराबर  कद  , मेरा  होगा  नहीं  ?

हर  वक्त काम  तेरे  आता  ही  हूँ  , न  माने  तू  तो  तेरी  तकदीर  है  !
अब  इम्तहाँ  दूं  ये  चाहो  तुम  अगर  , तो  शर्तों  पे  तो  मैं  जीता  नहीं  !!

साथ  मेरे  कोई  था  ही  नहीं  , और  मैं  साए  को  ही  साथी  समझ  , झल्ला  गया  !!

मेरा  हर  कदम  या  तो  ख़ाली है  , या  है  भारी  बहुत  ,
जो  चला  दो  कदम  बस  , और  फिर  से  बन  अजनबी  गया  !!

चुनौती  दे  कोई  तो  स्वीकारो  उसे  , भिड़ जाओ  पूरे  ईमान  से  फिर  !
जीतो  तो  तुम  जीते  पहलवान  हो  , हारोगे  तुम  , तो  मन  से  तो  न  हारे   हो  !!

सीधे  निकल  जाओ  तुम  , तालियों  की  गड़गडाहटों  को  न  देखो  तुम  , जब  निकलते  हो  आगे  !
न  घबराओ  चुप्पी  से  जब  तुम  हो  पिछड़ते  , तुम्हें  तो  लक्ष्य  भेदना  है  , असंगत  है  ये  सब  , तुम्हारे  लिए  !!

मेरे  सतरंगी  ,सतरंगी  सपनो  , तुम  रूठ  न  जाना  मुझसे  !
कुछ  बिखरे  हैं  कांच  के  टुकड़े  , टुटा  किसी  का  सपना  शायद  !
पहले  इसको  जोड़  तो  लूं  , चुभे  किसी  के  पांव  न  यह  !
फिर  खोजूं  मालिक  को   ,ढूंढ  उसे  दे  आऊँगा  !
और  मेरे  सपनो  तुम  , राह देखना  ,कल  फिर  मिलने  आऊँगा  !! .

दिया  तुम  जलाओ  , दिया  मैं  जलाऊँ  , कुछ  तो  अँधेरा  जहां  का  मिटेगा  !
न  भी  मिटे  तो  ,कहाँ  नुक्सान  होगा  , यही  तो  कहेंगे  न  , की  पागल  हैं  दोनों  !
और  इस  वाक्य में  भी  , फायदा  बहुत  है  , नाम  भी  होगा  और  दोनों  का  होगा  !
यही  तो  है  चाहत  , मेरी  और  तेरी  , दोनों  जियें  और  मरें  संग  दोनों  ,इसी  बहाने  से  पूरा  तो  होगा  !!

हे  भगवान ! तेरी  जगह  अगर  मुझे  सृष्टि  को  चलाना  और  सजाना  पड़ता  ,
तो  अब  तक  मैं  पागल  हो  गया  होता  और  लोग  मुझे  गालियाँ  दे  रहे  होते  !
वैसे  गालियाँ  तो  तुझे  भी  पड़ती  हैं  पर  मैं  जानता  हूँ  तू  पागल  नहीं  है  !
और  यहाँ  कुछ  लोग  हैं  जो  अपने  को  भगवान्  बताते  हैं  ,
पर  करने  के  नाम  पर  केवल  अपनी  जेबें  भरते  हैं  !
और  एक  तू  है  जो  लुटाता  भी  है  और  खाली  भी  नहीं  होता  !!

संबंधों  को  दोबारा  समझो  , और  थोडा  सा  गाढ़ा करलो  , लगता  है  पतलापन  आया  ,
कुछ  दूर  हुए  हैं  हम  दोनों  , आओ  उलझनों  को  सुलझाओ  और  संबंधों  को  गाढ़ा  करलो  !!

तू  है  क्यों  परेशान  मेरे  हमनवा  ? ये  वक्त की  हैं  तब्दीलियाँ  !
थोड़ी  तो  बदलेंगी  हवाएं  ये  , ज़रूरी  नहीं  खिलाफ   ही  हों  !!

तेरी  अदाएं  अलग  सी  हैं  , और  खुमार  भी  उनमें  अलग  सा  है  !
लगता  है  तू  कोई  बाजारू  नहीं  , खालिश  , किन्नौरी  अंगूरी  हो   शराब  !!


  • क्या  ये  पीड़ा  सिर्फ  मेरी  है  ? सब  को  दिखता  सब  नहीं  ?

  • अरे  दिखता  तो  है  , पर  दूजे  का  ,अपनी  बारी  में  ,खबर  नहीं !!


  • नदिया  बहे  धीरे  , धीरे  , कहारों  , चलो  तीरे  तीरे  !

  • मेरा  गाँव  छूटा पीछे  , कहारों  चलो  धीरे  धीरे  !!

  • साँसों  में  बाबुल  की  चाहत  बहे  मेरे  ,मैं  तो  निहारूं  मेरा  पीहर  ,

  • कहारों  चलो  धीरे  धीरे  !!सखियाँ  मेरी  टसुए  बहायें  ,

  • मैया  के  आँखों  से  निकसे  न  नीरे  , कहारों  धीरे  चलो  धीरे  धीरे  !!


  • मैं  गिला  करूँ  क्या  समाज से  , मैंने  ही  उसे  क्या  दे  दिया  ?

  • इक  अजनबी  सा  पड़ा  रहा  ,और  कुछ  करने  वालों  के  रस्ते  में  , बेवजह  , अदा  रहा  !!


  • यार  चुगली  वुगली  कुछ  किया  करो  , चुगलखोरी  का  ज़माना  है  !

  • या  तो  तरक्की  तुमको  हज़म  नहीं  , या  जेब  में  फिर  नोट  हैं  !!


  • अभी  शरारत  तो  तुमसे  कोई  की  नहीं  , यूँ  ही  तोहमत  पे  तोहमत  लगाते  हो  !

  • मेरी  छेड़खानी  का  असर  तो  फिर  , दोनों  जहाँ  तक  जाता  है  !!


  • शायद  ये  पहली  बार  है  , वे  अड़े  रहे  अपनी  बात   पर  !

  • वर्ना  मुझे  तो  ये  याद  नहीं  ,मैं  इस  से  पहले  लड़ा  भी  हूँ  !!


  • ए  गुलिस्तान  के  ताज  गुल  , इतरा  ले  मौज  में  पल  दो  पल  !

  • तुझे  देखा  प्यार  से  माली  ने  , अब  फरमान -ऐ-मौत  तू  आया  देख  !!


  • तेरा  घर  है  मेरे  ही  सामने  , और  फर्क  है  इक  दरिया  का  !

  • देखता  हूँ  रोज़  मैं  , उस  मौज  को  , जो  उतारे  पार  !!


  • मेरा  सुरूर  उतरे  तो  उतरे  क्यों  ? मेरी  मय तो  मुझसे  जुदा  नहीं  !

  • मयखाना  रब  का  दिल  में  है  , और  मिलती  मुझे  तो  उधार  भी  !!


  • है  चाँद  तारों  के  बीच  में  , आसमानों  से  फासले  !

  • पर  चमकने  को  एक  सब  , और  बाँटते  नहीं  आसमान  !!


  • पर  ये  चाँद  तारों  के  शांत  देश  , शांत  हैं  तभी  तलक  ,

  • पहुंचा  नहीं  जब  तलक  , मेरे  इंसानों  का  कारवां  !!


  • और  ये  चाँद  तारे  तो  चीज़  क्या  ? हमनें  बाँट  ली  , माँ  भी  है  !

  • ले  एक  महिना  रखता  मैं  , और  एक  महीना तू  भी  रख  !!












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