Sunday, 20 November 2011


  • है  चाँदनी  पसरी  जहाँ  में  , शबनम  को  न्योता  देके  आया  हूँ  !

  • देखता  हूँ  मेरा  मान  रखती  है  , या  चांदनी  बदनाम  होती  है  ?


  • मौसम  को  मैं  धूप दिखला  बहला  आया  हूँ  ,

  • अभी  शरद  है  दूर  बतला  के  आया  हूँ  ,

  • देखता  हूँ  बादल  अभी  पिछवाड़े  रुक  जाए  तो  अच्छा  है  ,

  • मेरा  मन  मस्त  है  बहले  हुए  मौसम  की  रंगत  बदले  न  अच्छा  है  ,

  • पर  है  ख़तरा  मुझे  उस  भोले  भंडारी  से   ,

  • खड़ा  है  खेत  में  हल  जुंगडा  और  बैल  लेकर  जो  ,

  • उसकी  सच्ची  पुकार  सब  भेद  खोलेगी  ,

  • और  मेरी  ये  योजना  धरी  की  धरी  ही  रह  जायेगी  !!


  • समय  ने  वक्त तो  काफी  दिया  , पर  मैं  ही  राग  और  रंग  में  खोया  रहा  ,

  • अब  चिड़ियाँ  भी  नहीं  हैं  खेत  चुगने  को  ,मगर  फिर  भी  पछताना  तो  पड़ता  है  !!


  • ए  जिंदगी  तू  रुक  तो  जा  , तू  ठहर  तो  जा  , तू  मौत  के  पीछे  भागे  क्यों  ,

  • हर  क्षण  का  मज़ा  तू  लेने  दे  , यूँ  ही  दौड़ती  चली  जा  रही  ,

  • जैसे  मौत  हो  जायेगी  गुम कहीं  , उसे  भी  तेरा  इंतज़ार  है  ,

  • वो  देखती  तुझे  मुड़ मुड़  के  है  , क्यों  मिलन  को  तू  बेकरार  है  ,

  • मुझे  तू  लगे  हसीं  परी  , चाहे  दर्द  दे  या  ख़ुशी  ,मुझे  रंग  सारे  दिखादे  तू  ,

  • तुझे  जीने  दुबारा  फिर  मैं  आऊँगा  , ज़रा  दम तो  ले ले  दो  घड़ी ,

  • तेरा  साथ  मुझको  भा  रहा  , तेरा  साथ  मुझको  भा  रहा  !!


  • समझा  है  किसी  ने  क्या  मुझको  ? जो  नाम  किसी  का  गाता  फिरूं  ?

  • और  पहचान  मेरी  किसी  नाम  से  हो  , तो  जय  ही  नाम  तो  काफी  है  !


  • अरे  आओ  तो  आओ  जान  ज़रा  , मेरे  पास  तो  बैठो  जान  ज़रा  ,

  • बतियाओ  तो  कुछ  कुछ  जान  ज़रा  , मेरे  कानो  में  घुलती मिश्री  है  ,

  • तेरे  आने  की  आहट  मिलते  ही  , तेरी  खुशबू  के  झोंके  चलते  ही  ,

  • मेरी  अधखुली  आँखें  खुलती  हैं  , और  बंसी  कन्हईया  सी  बजती  है  !

  • तेरी  मदभरी  अखियों  का  मिलना  है  क्या  ? तेरी  पतली  कमर  का  हिलना  है  क्या  ?

  • तेरी  सर  से  चुनरिया  ढलके  जब  ,तू  क्या  जाने  ये  क्या  ढाए गज़ब  ?

  • अरे  शाम  से  पहले  जाओगे  तुम  ,घर  से  ही  सोच  के  आये  हो  तुम  ,

  • अब  मिलना  जुलना  भारी  है  ,घर  पे  भी  पहरे  जारी  हैं  ?

  • तो  क्या  कर  सकता  है  याड़ी बालम  ,अरे  जाओ  जी  जाओ  अब  घर  तुम  !

  • अरे  बांके  पिया  मोरे  बांके  पिया  !!


  • हर  कली फूल  बनेगी  ,ऐसा  मालूम  तो  था  ,

  • पर  मौसम  यूँ  निखरेगा  , ऐसा  ख्यालों  में  न  था  !


  • जाम  खनके  हैं  तो  क्या  , घंटी  से  कम  तो  नहीं  ,

  • इक  मंदिर  को  जगाती  है  , तो  इक  मयखाने  को  !

  • शाम -ओ -शहर  होता  है  , दोनों  में  , आना  जाना  ,

  • और  दोनों  में  मदहोशियाँ  मिलती  हैं  बख्शीशों  में  !!


  • मेरी  बदली  है  नज़र  , अब  पहले  सी  नहीं  ,

  • खूब  जानता  हूँ  ,इक  अदद  , खुदा  बनाने  का  राज़  !









  • वो  हैं  हैरान  मेरी  हरकत  से  , झूठ  से  मैनें  बहलाया  न  कभी  ,

  • चाहता  तो  मैं  भी  था  , होकर  वो  मेरे  ही  रहे  ,

  • पर  मरूँगा उनके  लिए  ,ये  तो  जतलाया  न  कभी  !!


  • मेरे  मरने  पर  हों  चर्चे  मेरे  , ऐसी  कोई  रंगत  तो  नजारों  में  नहीं  !

  • हाँ  रोयेंगे  तो  कुछ  लोग  ज़रूर  , रस्म  पुरानी  है  , निभानी  तो  है  !!

    हर  शेर  गुलाबी  हो  ,  हो  सकता  क्या  ?
    हर  शख्श  शराबी  हो , हो  सकता  क्या ?
    ये  तो  नूर  है  रौशन   का  , न  जाने  किसपे  आये  ?
    मैं  तो  बैठा  हूँ  फ़कीरी  में ,  जब  आये तब  आये !!

    शाम  से  पहले  भी  था  ,  शाम  के  बाद  भी  है  ,
    सवेरा  तो  किस्मत  में  है  ,  तेरे  भी  आएगा  !!


    मेरे  आँखें  नम  है , तेरी  याद  से  बावस्ता  हूँ  , 
    शायद  कुछ देर  लगे  , सहज  होने  में !
    मेरा  कोई  शौक  नहीं  यूँ  टसुवे  बहाना  , 
    याद  आये  और  छलक  जाएँ   न  आँखें  तो ,
    ज़िंदा हूँ  पता  कैसे  चलेगा  ,  कौन  है  जो ,
    बताएगा  ,  खूँ  दौड़  रहा  है  तेरी  रगों  में   !


    मेरे  मन  मस्त  मलंग  दौड़  के  जा  छू  के  आ  रब  का दामन  ,
    ये  जो  पगला  सा  है , लंगड़ा  सा  है , अँधा  सा  है  ,  चिथड़ों  में  है  लिपटा  हुआ  ,
    सब  हैं  उसके  भेजे  हुए  ,  दामन  भी  हैं  इनके  पाक़  ,  जा  ज़रा  छू  के  आ  , 
    खड़ा  कैंसर  का  मरीज़  ,  एड्स  से  जकड़ा  है  जो  ,  सब  उसके  के  ही  दामन  से  बंधे ,
    और  भी  कुछ  बाकी  हैं  ,  जहां  तुम्हारी  करुणा  छलके  ,  सब  उसके  दामन  से  हैं  ढलके ,
    जा  ज़रा  हंसी  इनके  भी  चेहरे  पे भी  तू  ला  ,  जा  मेरे  मन  मस्त  मलंग ,
    दौड़  के  जा  छू के  आ  रब  का  दामन  ,  जा  मेरे  मन  मस्त  मलंग  ,  दौड़  के  जा !!








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