Wednesday, 9 November 2011

हूक  सी  उठती  है  दिल  में  जब  ,  बोले  रात  को  टिटिहरी  !
जाने  क्या  ढूंढती  रहती  है  रात  के  अँधेरे  में  !
या  तो  गुम  है  सजन  उसका  ,  या  फिर  पानी  को  तरसती !!

दिलदार  के  आगे  तो  ,  बादशाहों  के  भी  हाथ  बंधे  थे  ,
वो   जो   उल्टे   थे  कई   तख़्त  ,  बेगम  के  करिश्में  थे  !

शादी  में  बजे  शहनाई और  छड़ों  की  बन  आई  है  ,
शायद  मिल  जाए  कोई  ,  सिंगल  से  डबल  होने  को  !!
हर  थाप  पे  उछलें  वो  ,  हाथ  घुमाएं  यूं   ,
सारे  ज़माने  को , दिख  वो  ही  रहे  हैं !!

राम  ही  जाने  ये  रीत  है  कैसी  , 
शादी  में  नाचें  सब  घोड़ी  के  आगे  !
दुल्हे  से  भी  ज्यादा , खुश   हो  रहे  सब  वो  , 
चाहिए   लड़की  है  ,  और  नाचें  ,घोड़ी  के  आगे  !!

दुल्हे  को  छिपाया  है  सेहरे  के  पीछे ,
ताकि  उसे   यारों  के  करतब   तो  न  दीखें  !!

राम  ही  जाने  क्यों  दूल्हा  ख़ुशी   है  ,
आगे  है  क्या  होना  ,  नहीं  उसको  दिखे  है ?
हमने  तो  की  सेहरे  से  बंद  ,  सिर्फ  आँखें  हैं  उसकी  ,
मत  मारी  गयी  क्यों  ,  ये  तो  किसको  खबर  है ?

बाप  ने  दुल्हे  के  बरसाई  शराब , 
शायद  उसका  का  भी  है  खाना  खराब ,
खा  पी के  बाराती  तो  जायेंगे  घर  अपने  , 
और  चाटेंगे  उगाही  को  सब  उसका  दिमाग !!

आती  हंसी  तब  है  जब  बाजा  ये  बोले  ,
तैनू  लाड़ा  किने  बनाया  ,  भूतनी  देया ,
तैनू  घोड़ी  किने  चढ़ाया  ,  भूतनी  देया  !!


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