ज़ालिम ज़मानें ने जीने न दिया , और मार डाला !
सिर्फ इतना सा था क़ुसूर , के मिले थे अनजाने में !!
पहली नज़र ने पहचाना उसको , उसकी नज़र में जानापन था !
न सोच समझ के वो आगे आया , न मेरी ही ऐसी मंशा रही थी !!
रोज़ का आना , रोज़ का जाना , बस और मैट्रो , का अँधा सफ़र था !
वो हँसना ज़रा सा पहचानी शक्लों का , स्वागतम भी बस इशारों में होना !!
कब बदला चाये की चुस्कियों में , मौसम हसीं , हमने जाना नहीं था !
मगर जान पहचान कब वादों में बदली , जाना था किसी ने ? जो न हमने जाना !!
और खबर सारे जहाँ में छप गयी , विजातीय बच्चों में प्यार हो गया है !
कुल्हाड़े और बरछे तन गए सब , अचानक ही हमलावर हो गए सब !!
और जाने अजाने में जाने गयी दो , और मान सम्मान बच गया सब तुम्हारा !
मुबारक हो तुमको ज़माने की सदारत , मगर हमको ज़ालिम , जीने न दिया , और मार डाला !!
सिर्फ इतना सा था क़ुसूर , के मिले थे अनजाने में !!
पहली नज़र ने पहचाना उसको , उसकी नज़र में जानापन था !
न सोच समझ के वो आगे आया , न मेरी ही ऐसी मंशा रही थी !!
रोज़ का आना , रोज़ का जाना , बस और मैट्रो , का अँधा सफ़र था !
वो हँसना ज़रा सा पहचानी शक्लों का , स्वागतम भी बस इशारों में होना !!
कब बदला चाये की चुस्कियों में , मौसम हसीं , हमने जाना नहीं था !
मगर जान पहचान कब वादों में बदली , जाना था किसी ने ? जो न हमने जाना !!
और खबर सारे जहाँ में छप गयी , विजातीय बच्चों में प्यार हो गया है !
कुल्हाड़े और बरछे तन गए सब , अचानक ही हमलावर हो गए सब !!
और जाने अजाने में जाने गयी दो , और मान सम्मान बच गया सब तुम्हारा !
मुबारक हो तुमको ज़माने की सदारत , मगर हमको ज़ालिम , जीने न दिया , और मार डाला !!
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