Monday, 31 October 2011

ए  शीतल  बयार  ले  चल  मुझे  ,  जहाँ  बस  रहा  हो  प्यार  ,  प्यार ,
रच  रहा  हो  प्यार  ,  प्यार  ,  जहाँ  सब  नज़ारे  हों  प्यार  ,  प्यार  !!
माँ  का  कोमल   स्पर्श  ,  कोमल    स्नेह  ,  आँचल  भी   कोमल  कोमल   हो  ,
शरद  में  जो  कोष्ण   हो  ,  और  ज्येष्ठ  मास  में  हिमल  हो  !!
बहना  हो  इक  स्नेह  का  ज्वार ,  इक  प्रेम  प्यार  , भाई  सदृढ़  चट्टान  हो ,
बाप  छाये  बादल  सा  सब  पर  ,  बरसे  तो  बस  प्यार  प्यार  !!
प्रेयसी  हो  बस  प्यार  में  लिपटी  ,  प्रीतम  भी  बस  प्यार  प्यार  ,
संगिनी  ,  संग ,  बन  जीवन  संध्या  तक  ,  शामिल  कर  लें  प्यार  प्यार !!
भाई  ,  बंधू  ,  तब  ,  मिल  के  नाचें  सब  ,  गायें  मृदुल  बस  प्यार  ,  प्यार  ,
ए  शीतल  बयार   ले  चल  मुझे  ,  जहाँ  बस  रहा  हो  प्यार  ,  प्यार  !! 
    

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