नजदीकियां कुछ भी नहीं बीच , है मालूम ,
पर पीठ ही फेरो ज़रूरी तो नहीं !!
..........
ख़ाली हैं मेरे हाथ तो उठते हैं दुआ में ,
ख़ाली ही रहने दे , आज़ाद हूँ अब !!
..........
कितना जानते हैं तुम्हें ?
सात ही तो जन्म हुए अभी साथ !!
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कुछ बोलें तो गिला हो जाता क्यों ?
ये चुप सी तो मुझसे होती नहीं !!
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चौतरफा चर्चे हैं , गुनाह कुछ हो तो सही ,
दरमियाँ हमारे कुछ है , तो परेशां दुनियां क्यों ?
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रूठेंगे तो मना भी लेंगे , इस उम्मीद में रूठा ही रहा मैं ,
अब सिवा मान जाने के चारा क्या है !! ..,........
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हमारे हिमाचल में मशहूर है ,
रुस्सी घुग्गी किने मनाई , फत फत करदी अप्पू आई !
अर्थात , रूठे हुओं को किसने मनाया ,
हार कर वो अपने आप मान जाते हैं !!
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पैमाना ए दिल छल्का है पहली बार ,
नूरे सहर ऐसा ही होता है क्या ?
नूरे माह ऐसी ही होती है क्या ?
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"इक तू ही जवान न हुआ दुनियाँ में ,
नूरे सहर भी वही है , नूरे माह भी वही ,
( नूरे सहर :- सुबह का उजाला , नूरे माह :- चांदनी )
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"करार आ जाए तो अच्छा , न आये तो भी अच्छा ,
पर पीठ ही फेरो ज़रूरी तो नहीं !!
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ख़ाली हैं मेरे हाथ तो उठते हैं दुआ में ,
ख़ाली ही रहने दे , आज़ाद हूँ अब !!
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कितना जानते हैं तुम्हें ?
सात ही तो जन्म हुए अभी साथ !!
..........
कुछ बोलें तो गिला हो जाता क्यों ?
ये चुप सी तो मुझसे होती नहीं !!
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चौतरफा चर्चे हैं , गुनाह कुछ हो तो सही ,
दरमियाँ हमारे कुछ है , तो परेशां दुनियां क्यों ?
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रूठेंगे तो मना भी लेंगे , इस उम्मीद में रूठा ही रहा मैं ,
अब सिवा मान जाने के चारा क्या है !! ..,........
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हमारे हिमाचल में मशहूर है ,
रुस्सी घुग्गी किने मनाई , फत फत करदी अप्पू आई !
अर्थात , रूठे हुओं को किसने मनाया ,
हार कर वो अपने आप मान जाते हैं !!
...............
पैमाना ए दिल छल्का है पहली बार ,
नूरे सहर ऐसा ही होता है क्या ?
नूरे माह ऐसी ही होती है क्या ?
................
"इक तू ही जवान न हुआ दुनियाँ में ,
नूरे सहर भी वही है , नूरे माह भी वही ,
फिर क्यों दीवाना हुआ जाता है तू !!"
( नूरे सहर :- सुबह का उजाला , नूरे माह :- चांदनी )
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